Pramod Kumar Saini   (प्रेम)
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काव्य के नये युग की शुरुआत
Joined 21 September 2019


काव्य के नये युग की शुरुआत
Joined 21 September 2019
6 HOURS AGO

हारना भी उसे ही होगा
जो जीतना चाहता है

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9 HOURS AGO

अभी बहुत से और भी भ्रम टूटेंगे
मुझे अभी और गलत साबित होना बाकी है

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25 JUN AT 22:04

परीक्षा
इतनी भी न ले ए ख़ुदा
कि वो आलम आये
जब न अंज़ाम की फिक्र हो
और ना ही आगाज़ का जिक्र हो

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22 JUN AT 17:10

मुझमें और मेरी किस्मत में
हर बार यही जंग रही
मैं उसके फैसले से तंग
और वो मेरे हौसले से दंग रही

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19 JUN AT 22:25

ये तुम पर था
कि तुम्हें खामियां नजर आई
मेरे किरदार में
पर मेरी ख़ूबियों को
तुम ढक न पाये बाजार में

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19 JUN AT 21:22

भले ही फंस गया हूँ
ज़िन्दगी के कुरुक्षेत्र में
अभिमन्यु की तरह
बचाने कोई आने वाला नहीं
मैदान मैं भी छोड़ के जाने वाला नहीं

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17 JUN AT 18:37

तेरा हर शितम मुझे कबूल है
बस मेरा गुनाह बता दे

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10 JUN AT 21:18

जरा सी आँधी
क्या चली हकीकत की
एक झोंकें ने ही
अपनों के सारे मुखौटे उड़ा दिये

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10 JUN AT 10:39

जिंदगी इतनी
उलझन में न होती
गर वक़्त से पहले
लोगों की
पहचान हो गई होती

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8 JUN AT 21:02

सुना है खाटू वाले
तू सबकी तकदीर बदलता है
मुझे तो बस एक आस बंधा दे
कि अबके तेरी बारी है

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