Pramod Kumar   (प्रमोद कुमार 'बन्टू')
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Teacher
Joined 24 April 2018


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15 FEB 2022 AT 19:58

रहने दो, तुमसे न हो पायेगा,
कोशिश लाख कर लो,
अब न चल पाएगा
बहाना भी अच्छा था,
कुछ और नया ढूढ़ लाते।
'मज़ाक़' नहीं है ये तुम समझते हो,
ये 'दायरा' अब और बढ़ जाएगा


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28 DEC 2021 AT 8:08

होने लगा तेरी 'दुआओं' का 'असर' मुझपे,

मैं जहां भी देखूं तेरा 'नूर' नज़र आता।

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27 DEC 2021 AT 6:38

मेरी हर ख्वाइश कहती तुझे पाने को,
लौट आ मत ज़िद कर फिर से जाने को।
दूरियां मुझसे अब मंज़ूर नही ए-हमदम,
क्या कमी रह गई इश्क़ में मिट जाने को।।

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15 DEC 2021 AT 8:24

हौसले बुलंद थे उड़ने को,
मंज़िल का ठिकाना भी मालूम था।
क़दमों के साथ ने यूँ निभाया अपना 'फ़र्ज़'
एक को आगे बढ़ाने को दूजे को रुक जाना था।

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11 OCT 2021 AT 17:14

ख़ुशी और ग़म तराजू के दो पलड़े हैं,

अह्म को सादगी से तौलें तो बराबरी मिले।

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1 JUL 2021 AT 20:00

रुको! एक बात करनी थी तुमसे.......

सच बताना, लौट कर आओगे !

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8 APR 2021 AT 17:44

डूब चुकी है दुनियां नफ़रत का दौर है,
बचना मुश्किल है सम्हलने का न शोर है।
ख्वाइशें चंद थी भाईचारा निभाने का,
शियासत में लुट गए अब ये दौर और है।

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16 MAR 2021 AT 7:54

सब कुछ उजड़ चुका था मेरी दुनियां से,
एक भरोसा था तुम्हारा वो तो न तोड़ते।

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23 NOV 2020 AT 10:15

हर गुल की बस एक ही ख्वाईश रही,
मैं 'चमन' में रहूँ बस 'अमन' में रहूँ।

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11 OCT 2020 AT 9:12

देख ली उनकी शख्शियत,
जो आज फ़ना हो गए!
न कुछ लेजा सके साथ,
लूटा था जोकुछ मकां हो गए!!

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