मिरी ज़िन्दगी में तुम्हारे सिवा बस,
नहीं और कोई कि ये मान लो तुम ।।
कभी हो जरूरत तुम्हें ग़र हमारी,
सदा साथ देंगें कि ये जान लो तुम ।।-
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साथ उसके न जग से ये मेला गया ।
आदमी जब गया तब अकेला गया ।।
2122 122 122 12-
कि फितरत में नहीं था जो वही अब कर रहा हूँ मैं ।
जमाने से नहीं लेकिन कि खुद से डर रहा हूँ मैं ।
सही होगा गलत होगा कि आख़िर और क्या होगा,
इसी इक कश्मकश में दिन व दिन ही मर रहा हूँ मैं ।।
1222, 1222, 1222, 1222-
मुसीबत लाख हो चाहें सफ़र में हमसफ़र मेरे,
तुम्हारे साथ चलना है कि ये वादा निभाना है ।।-
कभी हो बात कोई भी नहीं तुमको भुलाना है ।
तुम्हारी इक हँसी यारा कि खुशियों का खजाना है ।
मुसीबत लाख हो चाहें सफ़र में हमसफ़र मेरे,
तुम्हारे साथ चलना है कि ये वादा निभाना है ।।-
शिखर पर जब कोई पहुंचें न इनको रास आता है,
कई मिलकर कि उसके फिर परों को काट देते हैं ।-
गम -ए- हस्ती अहद के बाद भी जो दर्द दिल में है,
तुम्हारी याद को दिल से भुलाया क्यों नहीं जाता ।।-
कि आलम है अभी दिल का गमों में चूर रहता है ।
मिरा महबूब मुझसे तो बहुत ही दूर रहता है ।।-
कहूं तुमसे मैं आखिर क्या गलत मुझको बताती हो ।
मुहब्बत हर दफ़ा कर के तो बस अहसां जताती हो ।।-
उदासी घेरती मुझको गमों की रात होने पर ।
खुशी होती बहुत मुझको कि तुमसे बात होने पर ।।-