Pramod   (Pramod)
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Loves to write whatever I feel..
If it touches your heart somwhere plz like and follow ..
Joined 24 September 2017


Loves to write whatever I feel..
If it touches your heart somwhere plz like and follow ..
Joined 24 September 2017
16 MAR 2022 AT 1:28

कुछ लिखे और फिर मिटा दें,
जिंदगी बस इतना सीखा दे।

मौन बैठे है किसी कोने मे दफ़्न,
खुद को कोई कितनी सज़ा दे।

किसी को याद रखें तो ठीक,
किसी को भूलें तो पूरा भुला दें।

अच्छा है मैं तुम सा नहीं हूँ,
जो हस्ते  हुए को भी रुला दें।

गला बैठ गया,आँखें सूख गयी,
बेबस खड़ी ए 'नीद' सुला दे।

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21 FEB 2022 AT 23:52

वो परिंदे क़ैद करता था सिर्फ आजाद करने को,
इक शख़्स को मैं भूला नहीं सिर्फ़ याद करने को।

पतंगों के कटने पर ना जाने क्यूँ रोता था,
ढील खुद ही दी थी जब उड़ान भरने को ।

इक आवाज गूँजती रही है कानों में रात-भर,
नींद भी मजबूर थी अपने आप मरने को ।

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17 FEB 2022 AT 23:26

किसी दर से उठे और दरिया किनारे बैठें,
पर बैठें भी तो भला किसके सहारे बैठें।

उठना-बैठना छोड़ दिया हमने साथ उनके,
वो जो चाहते थे कि हम उनके इशारे बैठें।

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11 FEB 2022 AT 22:45

ये क्या ग़म है जो मुझको खाए जा रहा है,
थका हूँ फिर भी रातें जगाए जा रहा है ।

सुना था खुशियाँ बस्ती है उसके शहर मे,
कोई तो है जो अफवाह फैलाए जा रहा है।

मन तो मेरा भी नहीं होता कि कुछ लिखू ,
कमबख्त ये कलम खुद को चलाए जा रहा है।

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10 FEB 2022 AT 23:41

मत सोच मेरे बारे कि मेरा हाल क्या होगा,
खुद को ग़ैर समझते हैं, अब इससे बुरा क्या होगा।

वो बादल जो तुझे धूप से बचा रहा है,
जरा सी हवा चली तो सोच तेरा क्या होगा।

ये सफ़र जल्द पूरा खत्म करना है मुझे,
मुझे जनना है मंजिल के उस पार क्या होगा।

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28 JAN 2022 AT 23:08

इक ख्वाब हो जो सच ना हो,
इक रिश्ता हो पर हक ना हो

इक दर्द हो जो राज़ ना हो,
इक दिल टूटे पर आवाज ना हो

इक शख्स हो जो आम ना हो,
इक क़ातिल हो पर नाम ना हो

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28 JAN 2022 AT 23:04

आइने पर अपनी बिंदी छोड़ मत जाया करो,
मुझे अमूमन तुम्हारा चेहरा दिखाई देता है।

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28 JAN 2022 AT 23:01

मेरे घर के दरवाज़े अब बन्द मिलेंगे,
वो ना मिला ये कहकर, "तेरे जैसे कम मिलेंगे।"

यू कहीं भीड़ में बस इक नज़र दिखता है तू,
मैं पूछूं भी तो कैसे कि, "फिर कब मिलेंगे?"

ढूंढते हैं कोई नज्म जो सुकून दे जेहन को,
ना जाने तेरे किस्से सुनने को कब मिलेंगे।

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25 MAY 2021 AT 12:02

घर इस कदर सड़क छूने आया,
इक दरख्त तक बसर ना हो पाया।

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26 JUL 2020 AT 1:57

गुनहगार हो या बेकसूर ,खुद तय करो क्यों कि ,
तुम अपने ख्यालों में कैद भी हो और आज़ाद भी।

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