यादों का सिलसिला अनवरत चलता रहा
कुछ समेटता रहा दिल, कुछ बिखेरता रहा
और छुपा रखा है कुछ, दिल के कोने में
जीते हैं आज में पर कल को कैसे भूलें
सावन हो न हो पर दिल फिर भी झूले
क्योंकि छुपा रखा है कुछ, दिल के कोने में
भरी महफ़िल में आने जाने वालों के लिए
आए तो हैं सज संवर कर दिखाने के लिए
संभाले हुए हैं वही जो छुपा रखा है दिल के कोने में
कांपते होंठों पर हँसी का खजाना लिए
सूनी आँखों में उम्मीद का तराना लिए
वो ही ढूँढा किए जो छुपा रखा है दिल के कोने में
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