हो तुम कितनी खूबसूरत
ये हमारे अल्फाजों द्वारा नहीं बताया जा सकता,
है तुझसे ही इतनी क्यूं मोहब्बत
इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता,
एक तुम पर ही मेरा दिल आकर क्यूं ठहरा
इस बात का कोई जवाब नहीं दिया जा सकता,
एक सिर्फ तुमपे ही मैने लगाया अपनी आंखों का क्यूं पहरा
इन बातों का ऐसा कोई सवाल नहीं किया जा सकता,
अब किसी ओर पे इन नज़रों को फेरा नहीं जा सकता
यूं बार बार अपना सब कुछ किसी पे वारा नहीं जा सकता..!❤️-
प्रेम 🧿❤️
PG M.Sc Zoology
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मुझे चाय नहीं पसंद
तुम अपने हाथों की काफी पिलाना
ओढ़कर तुम इश्क मेरा
सामने मेरे बैठना
साथ हाय मेरी लेती रहना,
मैं नज़र में न आऊं किसी और के
तुम पहले ही मेरी नज़र उतार लेना
किस बात का मलाल तुम्हें
भरी महफ़िल में
तुम बालाय मेरी लेती रहना..!❤️-
रोज़ आती बारिश से
मुझे एक गुज़ारिश रहती हैं
तुम मेरे पहलू में
मुझे ऐसी हमेशा ख्वाहिश रहती हैं
न जाने ये बारिश भी
किस मक़सद से आती हैं
शायद मुझ जैसे
तमामों की प्यासो की प्यास बुझाने आती हैं
*
रहती होगी तुम्हें भी
मुझ जैसी इतनी ही तड़प
ऐसे हीं नहीं सुर्ख से पड़े रहते हैं तुम्हारे ये प्यासे गुलाबी होठ
हम नहीं जानते तुम्हें ही देख
क्यूं चढ़ता हैं हमारी आंखों में शबाब
मानों लगता हैं पिलाती हों तुम
मुझे अपनी आंखों से कोई इश्क़ की शराब..!❤️-
क्या कहती हों ?
पहली मुलाकात और पहली चाय की चुस्कियों के साथ
कर दी जाए पहली-पहली मोहब्बत का इज़हार
पहले तुम बताओ?
कैसे रहे थे वो दिन
जब हमारी फोन कॉल, वीडियो कॉल
और घंटों लंबी लंबी जो चलती रही थी बात
बातें भी न होती थी
और फोन काटने को भी न जाते थे हमारे हाथ
आज भी याद हैं मुझे
तुम पहले "हांजी! कैसे हो आप"
से करती थी बातों की शुरुवात
क्या आज भी हम उन बातों को दोहराते हुए
शुरू करे अपनी बातों का वार्तालाप?
*
निगाहें मिल ही गई हैं आज
तो क्या निगाहों ही निगाहों से
कह दिया जाए
जाे कहने को किया गया
मिलने का एक अंतहीन इंतजार
ला दिया जाए
दिल से होठों तक इश्क के अल्फ़ाज़?-
सुनो!..
तुम हमेशा-हमेशा के लिए
अपने पास रख लो न मुझे,
तुम अपनी आंखों में डूबकर
मर जाना सिखा दो न मुझे,
मैं खिल उठूंगा
चमन में फूलों की तरह
तुम फूल बनाकर
अपने पास रख लो न मुझे,
भर कर अपनी बाहों में
फ़कत इश्क़ मेरी शजर में
रूह सा बसा लो न मुझे..!❤️-
वो कहते हैं....
तुम्हारी आंखों में
काजल बहुत सुंदर लगता हैं मुझे
लाओ थोड़ा
तुम्हारी नज़र उतार लेता हूं मैं
तमाम नजरों से
तुम्हें बचा लेता हूं मैं,
*
झील सी आंखें हैं तुम्हारी
लेकिन इनमें तैर नहीं पाता हूं मैं
देख कर तुम्हें
फ़िर ख़ुद को संभाल नहीं पाता हूं मैं
और तुम कहती हों
इनमें डूब क्यूं नहीं जाता हूं मैं..!❤️-
न जाने वो मुझे किस क़दर चाहता हैं
मेरी हर आहट पे उसका पूरा बदन कांपता हैं
वो जब भी आता हैं उसका होना ही मुझमें असर डालता हैं
मेरा होना उसके नज़दीक मानों वो अपनी सारी हदे भूल जाता हैं..!🧿❤️-
वो जब कुर्ते पे आए
महफ़िल महक न जाए हाय तौबा
"हांजी" कहके जब
हमें वो बुलाए
सारी निगाहें मुझपर ठहर न जाए हाय तौबा
कहके इश्क़-ए-वफ़ा थाम ले जो हाथ हमारा
ये दुनिया जल न जाए हाय तौबा
बिठा ले गर जो वो अपने पास मुझे
मेरी सांसे थम न जाए हाय तौबा
फ़कत वो जो देख ले
अपनी खंजर निगाहों से मुझे
कहीं मुझे मोहब्बत न हो जाए उससे तो हाए तौबा
हम जो आ गए मोहब्बत में गर उसके
वो सारी सरहद पार न कर जाए हाय तौबा
हम तो रख ले ख़ुद को बचाकर
वो जो आ गया उसका दिल मुझपर
अब दिल न लगे जो मेरे बग़ैर उसका तो हाय तौबा..!❤️-