जिस दिन जन्म लीया मार दिया उसे
कितनो ने तो देखी भी नही रौशनी,
आज उन सबकी कर्जदार है दुनिया
जिनके जीते जी वो जी भी न सकी।।-
मैं सबके लिए बस आम हूँ।। पर शायद कुछ खास हूँ।।
झूठ बोलकर मुझसे कुछ छिपाना मत,
मोहब्बत हो गर तो दिल से निभाना बस,
यूँ तो जिस्म कि हसरत सबको है
मगर तुम रूह से जताना बस!!
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ज़ाम ऐ मोहब्बत में इज़हारी आ रही है!
शोर मचा हैं, उन्हें भी हमशे मोहब्बत हो रही है।।-
उन्हें मोहब्बत से दिक्कत थी, तो मैंने नफ़रत करना शुरू किया।
और उन्हें मेरी नफ़रत देखकर, मुझसे मोहब्बत हो गया।।-
आज उसकी रूह को सुकून मिली है
जो तरप रही थी सात सालो से
उन हैवान की हैवानियत भी रो दी
जब एक लड़की की स्वाभिमान की बात आई
आखिर यह इतिहास है की स्त्री की गरिमा में पूरा संसार है
हो चाहे रामायण की बात या फिर महाभारत की सुरुवात
कुछ की दरिंदगी एक जिंदिगी बर्बाद कर दी
और लाखो लोगो की आँखे नम कर गई
यह देर ही सही पर घड़ी तो आई
उनकी मौत आखिर इंसाफ के हाथो ही हुई
उस बेटी की पुकार आज भी लोगो से सवाल करती थी
आखिर वजह क्या थी जो जान मेरी ली?
वह परिवार भी एक मिसाल है जहाँ माँ का पूरा साथ है
न वह रुकी न वह थकी तबतक लड़ी जबतक इंसाफ न मिली
वह आखिर अपनी ममता कैसे भूल पाती
आखिर वह अपनी बेटी से क्या कह पाती
पर अब इस कहानी का अंत हो चला वह जानवर को उसकी औकात पता चला
अब डरेगी दुनिया जब एक नारी उठेगी
वह सक्तिशाली के साथ साथ स्वाभिमानी भी होगी
उसकी इज्ज़त अब सबकी जिम्मेदारी होगी।।-
गोरी-काली, लम्बी-छोटी, मोटी-पतली,
तू जैसी भी है, तू खुबसूरत है
क्योंकि तू एक औरत है।
चाँद भी फीका लगता है, जब तू मुस्कुराती है
हर गम दूर हो जाता है, जब तू गले लगाती है
भगवान भी छुक जाता है, जब तू खरी हो जाती है
क्योंकि तू एक औरत है।
अपना स्वाभिमान खो कर, तू लोगो के अभिमान पर जीती है
हर दर्द सह कर भी, तू हमेशा खुश रहती है
जन्नत भी आम लगता है, जब साथ तू होती है
क्योंकि तू एक औरत है।
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हमारी उम्र हमारी कामयाबी नही तय करती है
हमारी मेहनत और लगन हमे कामयाब बनती है
तुम्हारे रास्ते में काटें बिछाने वाले हज़ारो मिलेंगे
पर अगर मंजिल की तलाश है तो उसे पार भी खुद ही करोगे
किसी के शब्द तुम्हे रोके तो उससे रुको मत
आगे बढ़ो और खुद को शाबित कर पुरे दुनिया को दिखाओ
एक लड़की हो इस बात पर कभी न पछताओ तुम
इसका अभिमान करो और हर मोड़ पर लड़ो
तुम अकेली हो यह सोच कर खुद को न रोको
बल्कि खुद को खरा कर सबसे आगे चलो।।-
शरीर तो न झोरा उसने कम से कम आत्मा तो न छीन
सात साल बीत गए वो फिर भी आज़ाद है,
मेरी क्या गलती थी जो मैं दूर हो गई!
आज भी बेचैन हूँ क्या मिलेगा इन्साफ मुझे?
एक लड़की की जीवन क्यों राजनीती बन रही है?
क्यों एक बलात्कारी को इतनी इज्ज़त मिल रही है?
सवाल हज़ार हर एक बेटी कर रही है!
उसकी जिस्म की किम्मत क्यों ऐसे खुले आम बिक रही है?
अब क्या एक लड़की होना भी गुनाह बन गई है?
संविधान की न कोई किम्मत रह गई है!
उन दरिंदो को खुली हवा मिल रही है,
और इस देश की बेटी हर रात मर रही है।
जिस्म के उन राक्षसों से क्या अपनी पुलिश डर रही है?
अब किस आदालत में पेशी हो रही है!
क्या भटकती आत्माओ के सवाल की भी कब्र बना दी जाएगी?
क्या उन देह्शी दरिंदो को फांसी की सजा सुनाई जाएगी?
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ज़रूरी नहीं मैं शायरी ही लिखू
ज़रूरी नहीं मैं कविता ही लिखू
मैं हर वो चीज़ लिखने को मरती हूँ
जहाँ ज़िक्र तुम्हारा करती हूँ।।।-
हर मोहब्बत करने वाले साथ हो जरुरी तो नहीं
हर एक आशिकी का कोई नाम हो जरुरी तो नहीं,
वह नाम मेरा लेते हैं यह कम है क्या?
हर इश्क़ की कहानी का अंजाम हो जरुरी तो नहीं।।।
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