Prakhar Vedsa  
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अल्फ़ाज़ मेरे है,कहानियाँ नहीं !
◉‿◉
Hindi-English-Urdu
Joined 25 March 2020


अल्फ़ाज़ मेरे है,कहानियाँ नहीं !
◉‿◉
Hindi-English-Urdu
Joined 25 March 2020
14 MAY 2023 AT 17:27

Dear Maa,

Though we may have never said phrases like "I love you" to each other,

But our long hugs and your teary eyes say it all.

I believe this is what unconditional love looks like.

I might not be able to say it today either, but you know this, maa, right?

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22 FEB 2023 AT 7:57

ये पहाड़ो के सकरे सकरे रास्ते,
और उस पर ट्रेन बनाकर गुजरते ये बच्चे,
बहुत ही अनोखा,
जैसे की कोई पत्ती उन्मुक्त बह रही हो हवा में ।

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2 NOV 2022 AT 7:16

एक अरसे बाद काग़ज़ पर लिखा,

हालाँकि आरज़ू नहीं थी लिखने की,

पर ये आँखें थी जो किसी बहाने से

घंटो पहले उठ गयी,

और ये काला आसमान भी रंगीन ना हुआ,

तो फिर क्या,

एक कॉफ़ी के कप ने होंठों से बढ़ाया सिलसिला,

शब्द लिखती काटती रही ये कलम,

और जितनी पंक्तियाँ बनी उतनी सही,

क्यूँकि रोशनदान से देखने पर ऐसा लगता है,

की जैसे सूरज, बाँहें खोले आ ही गया।

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9 SEP 2022 AT 17:26

Someone asked me:-
How to write powerful emotion?

Well, the truth is:-
the strongest emotion will let you remove the cap from the pen and put it on blank paper,
but won't let you write with it.

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3 SEP 2022 AT 19:43

हर वक्त को,

घड़ियों की आवाज़ से मापना नहीं सम्भव,

कुछ पल ,

अपने साथ खामोशी को ओढ़े रहते है ।

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21 AUG 2022 AT 22:37

मिट रही है, समय की लकीरें,

और यादों पर धूल जमा है,

पर देख रही है, आँखें तुझको,

ना जाने क्या अच्छा क्या बुरा है,

कुछ जानना है, कुछ भूलना है,

पर कोई ये तो बतायें,

इन पैरों को चलना है या थमना है,

कुछ हक़ीक़त है मेरी,

जो तुम्हें जाननी नहीं है,

कुछ अनकहे लफ़्ज़ों से,

पर्दे अब हमें हटाने नहीं है,

यहीं तो चाहती थी तुम,

की ख़ामोश हो जाएँ हम,

तो व्यस्तता को ओढ़ रहे है,

जैसे की कोई नक़ाब पहना हो,

और जब तक इसे पढ़ोगी तुम,

कोहरे से छँट चुके होंगे हम ।

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12 JUN 2022 AT 22:26

थोड़ी सी गुफ़्तगू तुमसे,
लिखते हुए हुई,

बाक़ी ये ज़िंदगी,
जमाने में ज़ाया ही हुई,

ये पलके भी,
तब तक ना झपकी

जब तक परछाईं तेरी,
सड़कों से ओझल ना हुई ।

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16 APR 2022 AT 4:03

इस शांत सी झील किनारे,

चाँद का सिमटना बाक़ी है,

और लम्बी चली, ख़ुद से गुफ़्तगू-ए-ज़िंदगी,

तो अब सुबह की एक चाय बाक़ी है।

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1 APR 2022 AT 23:14

The Dilemmas

The thousands of dilemmas,
Withholding my soul,
It’s unfair, unacceptable,
Just like drowning at the shore.

Let’s take one by one,
differences of yours & mine,
Scratching the earth with nails,
To just make a line.

But the bigger question is,
Who will kneel,
Knowledge, faith or just me,
To prevent same reel & reel.
………………………………………….

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23 MAR 2022 AT 3:48

रात की खामोशी में,

नींद की आस रही,

घंटो तलाशा,

मगर सिरहाने रखे सपनो को,

आँखों की दराज का साथ नहीं ।

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