मुद्दतों बाद एक चेहरा ज़ेहन में उतरा था
वक्त कुछ यूँ बीता कि शख्स ही उतर गया-
Prakhar Srivastava
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Kanpur
Insta~prakhar1115
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Joined 5 January 2018
6 MAR 2023 AT 11:03
7 FEB 2023 AT 9:57
जब लिखना चाहा तेरे बारे में
छोड़ मझधार डूब गया किनारे में
जाने क्या जादू किया आसमान से सितारे ने
सब भूल गया मैं तो उसके एक ही इशारे में
-
31 JAN 2023 AT 0:26
वो नवाज़िशों का नूर अब मयस्सर नहीं
वो तस्कीनी रिवायत अब सिर्फ़ ख़्वाबीदा है-
24 JAN 2023 AT 22:17
ख़ुदा का उसलूब की दे दी उसको कामत
उसके ही बाशिंदे करते फिर रहे हैं उसकी निज़ामत-
29 SEP 2022 AT 13:24
कि वह मेरी उम्मीद पर खरी उतरेगी
और देखो ना मेरी उम्मीद
आज भी उम्मीद लगाये ही बैठी है।-
26 JUN 2022 AT 9:49
और दिल से दी गयी यातना
दोनों ही ईश्वर तक ज़ल्दी पहुँचती हैं।-
7 JUN 2020 AT 1:27
जब किताब के पन्ने स्याही से भर गए हों
तो एक नयी कहानी
कविता के रूप में जन्म लेती है-
7 JUN 2020 AT 1:03
हाँ
डर लगता है
कुछ खोने में
तो कुछ पा लेने में
खुली आँखों से देखे हुए
उन सभी सपनों को
हक़ीक़त का नाम देने में
डर लगता है
आखिरकार
ये डर ही तो हमें निडर बनाकर
ज़िंदा भी रखता है-