To,
No one,
Unknown Street,
Somewhere in this world.
Date : Whensoever you receive this.
Dear,
I know you have been through a lot in last few years or even a decade. Someday you'll be the next big thing to your family and friends and closed ones.Every successful man/women has a story of the past to tell but that story which they tell has a message.
Someday, I want you to narrate the story of your life. The way you overcome against all odds, The way your love supported you thought out your journey, The way your friends and colleagues helped you to get a meal for a time.
I just want you to be successful and recite the story of your life.
Be a protagonist is other's story too, Because everyone is superhero or protagonist in their own story.
I want you to be good in others story too..
Lots of Love
From :
Unknown
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Therefore I should write ❤️
Instagram : iprakharsrivastava
बंद आँखों से एक ख़्वाब सज़ा रहा था,
नींद ना जाने कब टूट गई..
मैं जिंदगी को हस कर गले लगाने ही वाला था,
ना जाने कब जिंदगी मुझसे रूठ गई...
सोचा था एक रात ये बात भी कह पाऊंगा,
होश ना रहा, मैं भीड में अकेला ही रह जाऊंगा..
कुछ बातें हैं जेहन में जो कहने को त्यार था,
कहना तो चाहता था पर कमबख्त दिन इतवार था।
है चेहरे पर मयूसी, आंखों में नामी भी,
उस दिन बोला था मैं पर बातें में लफ्जों की कमी थी...
बंद आँखों से एक ख़्वाब सज़ा रहा था,
नींद ना जाने कब टूट गई..
कोई शिकवे, शिकायतें नहीं है मुझे खुद से या खुदा से,
अपने गिरेबान में देखा तो अपने ही अपने से जुदा थे...
मैं आज भी उसी कमरे में हूँ जहाँ मैं कल था,
मेहज़, फ़र्क इतना है की अंधेरे कामरे में एक चीट उजालों की पा रहा हूं।
एक दलील पेश करूँगा जिस रोज जाना होगा,
एक आखिरी दफा हमारा बात करने के पीछे बहाना होगा...
बैंड आँखों से एक ख़्वाब सज़ा रहा था,
नींद ना जाने कब टूट गई..
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बेजान सियाह रातें,
जागती आंखें!
ख़्याल हज़ार,
दोज़ख को भागें !
एक तपता शरीर,
मसान में जागे!
चंद गुलाब,
जनाज़े पर लागे !
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अंधेरे से डरा करता था,
जो आज अंधेरों में रहना चाहता है,
अब बातें क्यों नहीं करता,
कोई पूछो तो सही, कहना क्या चाहता है ,
हस्ता हुआ देखा था आख़री दफ़ा उसको,
अब तो अक्सर वो ख़ुद को अकेला पाता है!
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ख़त में लिखी थी वो सारी खताएं,
क्या क्या था उनमे, तुम्हे क्या बताएं...
हर एक नज़्म सुनना, फिर अनसुना करना,
शीशे के ऊपर वो चेहरे परखना,
ये और कोई करता, समझ भी मैं जाता,
मगर उनका करना, समझ में न आए...
ख़त में लिखी थीं वो सारी खताएं !
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थोड़े से छाँव की तलाश में,
मीलों का सफर तय कर लिया...
मैंने एक घरौंदा,
अपने घर से बहुत दूर बुन लिया...
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दिन ढल गया है,
पर अभी बहुत सी बातें अधूरी है..
थोड़ी देर और जाग लो,
क्योंकि बातें भी आज जरूरी है...
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लिखा था तेरे बारे में हज़ारों कहानियाँ,
क्या कभी तुमसे मैंने वो छुपाया था,
क्या उतना बुरा हूँ मैं,
जितना तुमने लोगों को बताया था..!
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मेरी हर एक ख़ामोशी के आगे तुम्हारे बहुत से अनकहे सवाल होंगे,
मुकम्मल हो कभी तो, तुम सवाल कर लेना और हम जवाब दे देंगे...
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