दौरे बचपन से जवानी तक, वो हर वक्त मेरा साथ निभाई है,
वो बहन ही है जो भाई को इस कदर सजो कर रख पाई ,
मेरी हर गलती पर वह मुझसे ज्यादा डांट खाई है,
तुड़वा देगी मेरी टांगे पापा से, यह बोलकर वो हर शाम मुस्कुराई है।।
वो बहन ही है जो हर गम से हर खुशी तक साथ निभाई है,
उसने अपना फर्ज बखूबी निभाया है मेरी हर गलती को मेरी ताकत बताया है,
तभी तो मैं इस जन्म में खुद को उसका भाई बताया है ।।
बंदिशों में वो ताकत कहां जो उसे लाघ पाए,
उसकी छांव तो वह गहरा समंदर है कि कोई उसे नाप पाए,
दिल में उठती लपटें दरिया की शांत हो जाए जो कोई इस रिश्ते को बस निभा पर पाय ।।
वो मसरूफ रहती थी अपने कामों में, लेकिन वह चिंता मेरी क्या करती थी,
जितनी चोट मुझे लगती थी, उतनी ही आवाज उसके दिल से दर्द की यूं.. ही आती थी,
कोई नहीं है मेरा ,कोई सच्चाई नहीं बहन को लेकर,
यह तो बस एक शब्दों का समूह है, जिसे बसाना है दिल में एक रिश्ता बता कर है।।
यह दिल सुना है, और यह कलाई भी सुनी है,
चांद पर धब्बा है ,फिर भी वह चमकता है,
यही तो बस अपना अलग देखने का नजरिया है।।
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