Prakhar Singh Rathore   (Notorious Writer)
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मैं पल दो पल का "शायर" हूँ
Joined 2 April 2017


मैं पल दो पल का "शायर" हूँ
Joined 2 April 2017
20 APR 2018 AT 19:49

He act like he don't care,
But deep inside
She know it too -
"How could he not care"

~ Notorious Writer

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14 APR 2018 AT 14:09

उस नन्ही सी जान का क्या कसूर था
जो उसे ऐसी दरिन्दगी झेलनी पड़ी

क्या उसकी गलती ये ही थी ?
की वो एक बच्ची,लड़की,बहन, माँ और औरत थी

मिट्टी मे खेलने की उम्र में,
उन शैतानो ने उसे मिट्टी मे मिला दिया.

अरे अभी तो उसने सही और गलत मे फर्क
करना भी नही सीखा था,
और उन राक्षसों ने उसे नरक का एहसास दिला कर छोड़ दिया.

क्या उन्हें ज़रा भी दया नही आई ?
उसके मासूम से चेहरे को देख कर

के कितने ख्वाब सजे होंगे उसके दिल मे
और उन वहशियों ने एक झटके में,
उसके सारे अरमानों को
अपनी हवस का शिकार बना दिया.

उस नाज़ुक बच्ची पे क्या बीती होगी
जब वो उसपे अपनी नामर्दांगी दिखा रहे होंगे
न जाने किस गंदगी के बने होंगे वो शैतान

खुशी से चिल्लाने की उम्र में
उस बच्ची ने कितनी दर्दनाक चीखे ली होंगी
ये सोचकर भी मेरी रूह कांप उठती है

उस बच्ची का दर्द इन शब्दों मे बयाँ तो हो नही सकता
और न ही मुझे उम्मीद है किसी लोगो से


मगर मुझे पूरा भरोसा है ,उस भगवान , उस खुदा पे
की वो उन हैवानो का हिसाब जरूर करेगा.
~ प्रखर सिंह

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14 APR 2018 AT 8:57

मैं अपनी कुछ बुरी आदतें छोड़ना चाहता हूँ
पर न जाने क्यों
उन आदतों में,सबसे पहला ज़िक्र
तुम्हारा ही होता है !

~ प्रखर सिंह

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12 APR 2018 AT 11:47




जुस्तजू है उस एक इश्क़ की,तो क्या किया जाए
क्यों न आज फिर से ,तुम्हे थोड़ा महसूस किया जाए

सपनो की दुनिया मे अब, बेसबब ही तुम्हे शामिल किया जाए
क्यों न आज फिरसे ,क़ुरबतों के इकरार मुकम्मल किया जाए.

बावजह के जज़्बातों को अब,जल्द ही रूख़सत किया जाए
क्यों न आज फिरसे ,उसकी यादों में चश्म-ए-नम किया जाए.

अधूरी सी मेरी रातों मे, उसका इश्तियाक किया जाए
क्यों न आज फिरसे ,चाहतों को मेरी उसके नाम किया जाए.
~ प्रखर सिंह




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8 APR 2018 AT 21:08

I looked for the love, she gave
But was deceived
by her senseless deprave.
She always wanted to be damn brave
that took up the war
in the name of waive.
The love she gave,
in the price of being enslave
Made lust so pure,
now run for the save.

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5 APR 2018 AT 22:48

मांगते तो खुदा से...... इश्क़ रोज़ है
मगर तुम मिल जाओ..... ये जरूरी तो नही

~ प्रखर सिंह

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2 APR 2018 AT 9:51

Come along with me
In the darkness,
Who needs light,
When it's just you&me

Enjoying each other's company,
Slowly moments turns euphony
Who cares about the destiny,
When all we have, is our harmony.

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1 APR 2018 AT 12:41

ये कहानी नही तो और क्या है,
तेरा मेरा साथ ,बस एक झूठा ख्वाब है.

मुनासिब वक़्त में भी संजीदा मेरे हालात है,
तेरा इश्क़ मेरे लिए बे-दिली का पैगाम है.

तरबतर क्यों हो रहा हूँ, जरूर कोई बात है,
दर्द-ए-दिल के नेमत का यही अंजाम है.

मुंतज़िर हूँ मैं उसका, मुझमे ही कुछ खास है,
बावजह उसका इश्तियाक रखना, कहाँ इतना आसान है.

अज़म-ए-सफर मे राही,क्यों तू गुमनाम है
उल्फतों के दस्तूर से शायद, अब भी तू अंजान है.

तेरे दीदार को तरसता, खानाबदोश इंसान है,
तू आँखों से क़त्ल कर ले, तुझे सब खून माफ है.

बेगाना हो गया हूँ अब,अकेलापन ही साथ है,
तू नही तो क्या हुआ,कमब्खत दर्द तो वफादार है.




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31 MAR 2018 AT 17:51

Never ignore or disrespect someone who helped you,when you were on your lowest and made time for you even when your most loved ones never showed up for you. If they go away from your life then you'll miss the light that enlightened your world, when all you can see was darkness around you.

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31 MAR 2018 AT 13:02

Physical beauty doesn't impress me anymore. I don't care about your sweet gushy talks, mesmerising eyes and those perfect curves you have. Instead i'll care about the mature conversations you'll have regarding the aspect of life. I'll care about the vision's you'll have regarding each other's passion. I'll care about the way, you'll fully express every flaw within you in a very heartwarming manner. Such kind of beauty will surely make an impact on my soul.

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