एक राज़ बताना है तुमको
इस बहाने बुलाना है तुमको
उदास आँखों मे रौनक आ जाये
कुछ ऐसे शेर सुनाना है तुमको
तेरी सोहबत का मालिक नही हूँ
फिर भी हक़ से मांगा है तुमको
ये बताना पड़ेगा क्या हमको
कितनी शिद्दत से चाहा है तुमको
अब के सावन न आये या आये
मेरी आँखों मे आना है तुमको
इश्क़ है ये मजबूरी नही है
न रोकूंगा गर जाना है तुमको
हमारे दरमियाँ क्या कमी रह गयी
क्यों गैरो से मन लगाना है तुमको
सच्चे दिल की कदर अब किसे है
बस चकाचौन्ध भाता है तुमको
~ प्रखर-
निडर होकर सीना खुद का पिट चुका हूँ
मैं अपने हर डर को,पराजित कर चुका हूँ
बाहर की दुनिया मुझे क्या ही हराएगी
जब खुद से ही जंग मैं जीत चुका हूँ.
- प्रखर-
सारी बला मेरी टली रहेगी
गर लबों पे,तेरी हँसी रहेगी.
मैं तेरी बाहों मे पड़ा रहूंगा
तू मेरी बाहों मे पड़ी रहेगी.
इश्क़ लाज़मी है मगर,जाँना
तेरे जाने की मायूसी रहेगी.
आखिरी ग़ज़ल तेरे लिए
मेरे अश्को से लिखी रहेगी.
गलत होगा तेरा ना आना
और गलती भी मेरी रहेगी.
ये दुआ है या बदुआ कोई
के आँखें तुझे तरसती रहेगी.
तेरी-मेरी बातों मे भी,कई
बातें बहुत अन-कही रहेगी.
- प्रखर-
ख़्वाब बनकर मेरी आँखों मे,अब कभी नही ढलेगी तू
जानता हूं अब बिछड़कर मुझसे,कभी नही मिलेगी तू
उदासी की चादर ओढ़े,उस लड़की से बस इतना कहूँगा
जो बीत गया उसे पीछे छोड़कर,आगे कब बढ़ेगी तू
मैंने तो तुझसे कभी मोहब्बत की ही नही तो
फिर किस लिए मेरे इंतेज़ार मे, यूँ जलती रहेगी तू
दूर होकर भी तू मुझसे ऐ राहत-ए-जान
शमा बनकर मेरे दिल मे ही कहीं जलती रहेगी तू
- प्रखर-
गमो के गुबार मे एक दिन,भी न टिक पाया मैं
कितने रोज़ हो गए,एक शेर न लिख पाया मैं.
एक तलब थी,जिसकी तलब मुझको चाहिए थी
एक नशा थी तू ,पर वो नशा न कर पाया मैं.
मेरे शायर होने का फिर मतलब ही क्या है
अगर तेरी सादगी को भी ,न लिख पाया मैं.
इतना दर्द होता है हिज्र मे,कहाँ पता था मुझे
उसे जाता देख, होंठ तक न खोल पाया मैं.
कुछ हादसे ऐसे भी हुए,साथ क्या बताए
उससे मिलता तो रहा मगर,न मिल पाया मैं.
बस यूं ही फूल गिरते रहे,दिन बीतते गए
और यादें ताज़ा हुई , कुछ न भूल पाया मैं.
- प्रखर-
जब कभी भी बेतहाशा बारिशों मे भीगने लगूँगा मैं
समझ लेना इश्क़,इश्क़ और सिर्फ इश्क़ लिखूंगा मैं.
- प्रखर-
हर अश्क़ मे तेरी मुस्कुराहट तारी की थी
हमने खुद ही खुद से कैसी गद्दारी की थी.
सहर बुझते ही उसे तसव्वुर कर,कहता हूं
हमने क्या सोच कर आपसे यारी की थी.
-प्रखर-
मेरे लफ्ज़ निकलने से पहले,थोड़ी देर लेते है
शीशे फूटने से पहले,अक्सर मुझे देख लेते है.
- प्रखर-
मेरे जज़्बातों से मोहब्बत की ख़ुशबू अब उड़ चुकी है.जो थोड़ी बहुत बाकी है ना,उसे मैंने एक बोतल मे बंद कर,घर के सबसे तंग कोने मे मकड़ी के जालो के बीच रख दिया है ताकि इसपर मेरी कभी नज़र न पड़े, लेकिन मैं भूल गया था कि इस बोतल को रखने से पहले मैंने इसका पता तुम्हे अनजाने मे बता रखा है.
- प्रखर-