Prakash Sharma   (प्रकाश)
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Joined 13 January 2018


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15 SEP 2024 AT 12:37

कागज की कश्ती ,बारिश का पानी
मम्मी की लोरी, दादी की कहानी
नही भूलूँगा मैं 
जब तक है जान, जब तक है जान

कागज की कश्ती, बारिश का पानी
नटखट सा बचपन, अल्लड़ जवानी
नही भूलूँगा मैं 
जब तक है जान, जब तक है जान

कागज की कश्ती, बारिश का पानी
कैंटीन का समोसा, गोल गप्पे का पानी
नही भूलूँगा मैं
जब तक है जान, जब तक है जान

कागज की कश्ती, बारिश का पानी
मैं मदमस्त आशिक़, वो पागल दीवानी
नही भूलूँगा मैं 
जब तक है जान, जब तक है जान

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20 APR 2024 AT 15:48

"तुम्हें कैसे बयाँ करूँ"
कि तुम बूँद होतीं तो लिख भी देता
बताओ सागर को मैं कैसे बयाँ करूँ
इन्हें घटा कहूँ, सावन कहूँ, या कोई बादल लिख दूँ
बताओ इन जुल्फों को मैं कैसे बयाँ करूँ
इन्हें झील कहूँ, दरिया कहूँ, या कोई समन्दर लिख दूँ
बताओ इन आँखों को मैं कैसे बयाँ करूँ
इसे फूल कहूँ, चाँद कहूँ, या कोई आफ़ताब लिख दूँ
बताओ इस चेहरे को मैं कैसे बयाँ करूँ
तुम्हें परी कहूँ, मृगनयनी कहूँ, या कोई अफ़सरा लिख दूँ
बताओ मेरे ख़्वाबों की मलिका मैं तुम्हें कैसे बयाँ करूँ ?

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26 FEB 2024 AT 22:52

कि तुम बूँद होतीं, तो लिख भी देता
बताओ 'सागर' को मैं कैसे बयाँ करूँ

इन्हें घटा कहूँ, सावन कहूँ, या कोई घनेरी रात लिख दूँ।
बताओ इन 'जुल्फों'को मैं कैसे बयाँ करूँ।।

इन्हें झील कहूँ, दरिया कहूँ, या कोई समंदर लिख दूँ।
बताओ इन 'आँखों'को मैं कैसे बयाँ करूँ।।

इसे फूल कहूँ, आफ़ताब कहूँ, या चौदहवीं का चाँद लिख दूँ।
बताओ इस 'चेहरे' को मैं कैसे बयाँ करूँ।।

तुम्हें परी कहूँ, मृगनयनी कहूँ, या कोई अफ़सरा लिख दूँ।
बताओ मेरे 'ख़्वाबों की मल्लिका' मैं तुम्हें कैसे बयाँ करूँ।।

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19 FEB 2024 AT 9:15

खुदा को, खुद आना पड़ेगा इज़हार-ए-मोह्हबत के लिए।
मेरा इश्क़ तुमसे... किसी इबादत से कम नहीं।।

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2 SEP 2023 AT 20:27

समेट लूँ उसे,.. रेत में एक बूंद की तरह।
वो बरखा-सी, इक बार बरसे तो सही।।

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27 JUN 2023 AT 13:42

ये फांसला नज़रों का धोखा ही तो है।
तुझे चाहने का सफ़र, जिस्मानी कभी था ही नहीं।।

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29 MAY 2023 AT 20:55

छूट गये कई रिश्ते, कई नाते, कई अपने
इसकी वजह से
पर ये 'इन्सानियत', मुझसे छूटती ही नही

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21 MAY 2023 AT 19:34

सोचता हूँ इस दफ़ा, उन्हें तेरे घर का पता दे दूँ
पूँछते हैं आज भी, तेरा हाल-चाल मुझसे
वो ठंडी हवा, बगीचा, बेन्च और एक छोटी सी गिलहरी,,,

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20 APR 2023 AT 10:15

मेरा "पुरु" कहना,
और तेरा मुस्कुरा देना।
खुशियों की दूजी कोई,
परिभाषा नही मेरे पास।।

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10 APR 2023 AT 14:28

कुछ तो असर हुआ होगा,
सात फेरे, मंगल सूत्र और माँग के सिंदूर का भी,
यूहीं नही तुमने मुझसे, किनारा किया होगा।।

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