मेरे हाथ को उसके हाथ की आदत थी
जिसके हाथ को हर पल किसी और हाथ की आदत थी ।
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मैं सिर झुका लेता हूँ सबके सामने
मुझे कायर होना मंज़ूर हैं क्रूर होना नहीं ।-
तेरे ग़म ने इतना उछाला हैं मुझको
मैंने ज़मी देखे जमाना हो गया हैं
किताबें बहुत अच्छी हैं पर
खोले हुए जमाना हो गया हैं
धूल लगी हैं कपड़ो पर
पहने हुए जमाना हो गया हैं
एक ही ज़िन्दगी तो मिली हैं पर
जिए हुए जमाना हो गया हैं ।-
अभी तुम्हारे सामने हूँ इश्क़ कर या सज़ा दे
झूठे प्यार की लत मत लगा दे
एक घड़ी तुझको देख लूँ बस
फिर चाहे मेरी आँखे चहरे से हटा दे
तेरे ख़ातिर वो बना जो था ही ना कभी मैं
जाते जाते मुझको वैसे का वैसा बना दे
एक चेहरे से साथ निभा मेरा
असली चेहरे को सामने से हटा दे
रास्ते से घर लोट रहा हूँ मैं अब
कोई पूछे तो मंजिल घर को बता दे
एक ही आख़री ईच्छा हैं मेरी
मैं मरू और लोग तुझको जला दे ।
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आप अपने आप से मिलने जाने वाले थे क्या हुआ ?
हुआ कुछ ऐसा की में थोड़ा देर से जागा
जब जागा उसके बाद मेरे पास कुछ ही पल थे
और डॉक्टर ने कहा की आपको बोलना नहीं हैं हिलना नहीं हैं सोते रहना हैं
फिर मैंने समझा सोते रहने का दुःख ।-
इंसानों से प्यार करने के बाद आपमें जानवरो के प्रति प्यार और बढ़ जाता हैं ।
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जिन पर्वतों पर में नहीं चढ़ा मेरे लिए वो मैदान हैं
जिन पर्वतों को मैंने पार किया वो मेरे लिए पहाड़ हैं ।-
घोड़ो की रेस से निकल कर इंसानों की दोड़ देखने गया
ताज्जुब की बात हैं एक भी घोड़ा दोड़ देखने नहीं आया ।-