एक दिल लौट केआएंगे घर हम तेरे ।आज जाने दे मुझेउस एक वादे के लिए ।।1।।इस राह,राहगीर काफुरकत वक्त है यही ।रुकसत कर तू मुझेआज अपने नूर से ।।2।। -
एक दिल लौट केआएंगे घर हम तेरे ।आज जाने दे मुझेउस एक वादे के लिए ।।1।।इस राह,राहगीर काफुरकत वक्त है यही ।रुकसत कर तू मुझेआज अपने नूर से ।।2।।
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सादगी पसंद थी जीने मेंलोग कहां चाहते हैं ।दिखावों से भरी है ज़िंदगीलोग सच को कहां पहचानते हैं ।। -
सादगी पसंद थी जीने मेंलोग कहां चाहते हैं ।दिखावों से भरी है ज़िंदगीलोग सच को कहां पहचानते हैं ।।
लिखकर जबाव दिए उनके उन सवालों के ।मैंने गुजरना छोड़ दियाइम्तिहान के रास्तों से ।। -
लिखकर जबाव दिए उनके उन सवालों के ।मैंने गुजरना छोड़ दियाइम्तिहान के रास्तों से ।।
मैने उसको आवाज़ दीवो शहर सहर से गए ।अरे हम तो वर्षों बाद मिलेवो फिर से महल गए ।। -
मैने उसको आवाज़ दीवो शहर सहर से गए ।अरे हम तो वर्षों बाद मिलेवो फिर से महल गए ।।
नैनों की भाषासरल नहीं है ।इन नैनों से परेदिखता नहीं है ।। -
नैनों की भाषासरल नहीं है ।इन नैनों से परेदिखता नहीं है ।।
एक इरादा करके सोएउनसे वादा करके सोए ।।मिलेगे कल उसी शहर मेंजहां हुस्न को दफ्न करते।। -
एक इरादा करके सोएउनसे वादा करके सोए ।।मिलेगे कल उसी शहर मेंजहां हुस्न को दफ्न करते।।
क्या खुदा के इबादत में?क्या सजदा के नजरों में?हसरत थी घर बस जाएइन लहरों के किनारे में।। -
क्या खुदा के इबादत में?क्या सजदा के नजरों में?हसरत थी घर बस जाएइन लहरों के किनारे में।।
छुपते छुपाते आज भी दिल के जख्म आए हैं।।वर्षों की तलाश में दिल घायल होते आए हैं ।। -
छुपते छुपाते आज भी दिल के जख्म आए हैं।।वर्षों की तलाश में दिल घायल होते आए हैं ।।
सच पर कड़वामैंने दिल लगायाउसकी मजबूरी को ।वो तो गल्ले लगाए थीमेरी मजदूरी को -
सच पर कड़वामैंने दिल लगायाउसकी मजबूरी को ।वो तो गल्ले लगाए थीमेरी मजदूरी को
दौलती शौहर की चाहत वो देख रहे थे पैसा ।मैंने स्त्री का वो भीएक रूप है देखा ।। -
दौलती शौहर की चाहत वो देख रहे थे पैसा ।मैंने स्त्री का वो भीएक रूप है देखा ।।