मैं तन्हा हूँ तो क्या तन्हाई रुलायेगी मुझे.
नींद तो आती नहीं मौत क्या आएगी मुझे!-
अश्क़ आँखों से छलकता अच्छा होता
इस दिल का बोझ जरा सा हल्का होता
बे-रंग सी ज़िन्दगी है रंग इसमें कैसे भरु
हुई बारिस वहां जहाँ मकां कच्चा होता
बड़ी सादगी से झूठ बोलता है कोई
ख़ुदा तेरी तरह वो भी सच्चा होता
लोग रिश्ते निभाते है कि दौलत देखते हैं
काश इस मामले में हर कोई बच्चा होता-
मैं अपनी वेदना कैसे प्रगट करता....
तुम में जो मेरे लिए संवेदना नहीं थी.!-
"माना कि तेरी तरह खूबसूरत नहीं हूँ मैं
ऐसा भी नहीं कि तेरी जुरूरत नहीं हूँ मैं
ख़ाक हूँ, बंज़र हूँ, पत्थर दिल हूँ मैं
ज़िंदा हूँ अपनी शर्त पे बेग़ैरत नहीं हूँ मैं,,-
आदमी है कि हर घड़ी हर पल बदलता है
एक वर्ष बदलने में यहाँ एक वर्ष लगता है।-
मैं गिरा और फिर संभल कर खड़ा हो गया
तुम हँसे और नज़रो से गिरते चले गए।-
तुम हँस रहे हो मुझ पर चलो, कोई बात नहीं.
मेरे बराबर के हँसे मुझ पर, ये मुझे बर्दाश्त नहीं।-
कुछ तो बात थी जो मैं जी गया
दर्द-ए-दिल का ज़हर मैं पी गया
खुश्क आँखे जो नम हो गई थी मेरी
वस्ल की याद आई तो मैं जी गया
एक शब मुलाक़ात की बात थी
आरज़ू मरने की थी, मैं जी गया
गज़ब की उसकी ये तदबीर थी
ज़ख्म दिल पर लिए मैं जी गया
बड़े शौक से की वो रुसवाई मेरी
उस'से जुदा हो कर भी मैं जी गया-