prajjwal yadav   (जुगनू (फ़कीर))
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Joined 20 November 2017


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Joined 20 November 2017
8 JUN 2022 AT 10:35

दब गए हैं अरमां सुकूँ कहाँ है
हम पिछड़ गए हैं आगाज़ कहाँ है
हर कोई रास्ता बतलाए अपनी हस्ती का
मेरी मंजिल कहाँ मिलेगी गुत्थी भला ये कौन सुलझाए
मैं हर सुबह उठता हूं दुनिया जीत लेने को
हर रात हारी तक़दीर लिए घर लौट आता हूँ
खुदको कोस भर लेने को
मैं कहाँ गलत था मुझे बताए कोई
मेरे फैसलों में मैं था की नहीं समझाए कोई
ना बताओ तुम मेरी औकात की तुमसे खुदको मैं बेहतर जानता हूँ
हार जाता हूँ लेकिन इमान ज़िंदा रखता हूँ
आगाज़ बुरा है लेकिन अंजाम किसने देखा है
वक्त कहाँ कब किसी का था जो तुमने देखा है ।।

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3 SEP 2021 AT 18:52

ज़ख्म कुरेदे जाएंगे तुम्हारे यहां
मरहम का पूछा तक नहीं जाएगा
सीख ले ए आदम ये दर्द सहना
बिना इस दर्द के जिया नहीं जाएगा

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26 DEC 2020 AT 18:50

डूबते को डूबता छोड़,किनारों को नाव देते हैं
लोग सुनते कहाँ हैं हाल-ए-दिल बस सुझाव देते हैं।

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23 DEC 2020 AT 21:59

तारीफे फिर सुन रहा हूं मैं कुछ लोगों से
लगता है फ़िर किसी को मुझसे काम पड़ने वाला है

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16 DEC 2020 AT 18:25

तुम्हे मंज़िल की तलाश है
और हमे सफ़र में हमसफ़र की

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9 NOV 2020 AT 19:16

उपहार में सब घड़ी लिए खड़े थे
मुसीबत में दो घड़ी वक़्त मांगा तो कोई ना मिला

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1 OCT 2020 AT 17:55

उनसे ही तू है हारा,जिनसे तू है डरा
चल उठ खड़ा हो तू, जा दुश्मनों को पुकार तू
उठा धनुष और बाण तू, कर हनुमान का आहवान तू
चल कर पतेह सारा जाहन तू, जा दिखा दे अपनी पहचान तू
राणा का लहू तू, प्रताप का चेतक तू
राम का लक्ष्मण तू, कृष्ण का सुदामा तू
चल उठ दिखा दे इस दुनिया को, पूरा हिंदुस्तान तू

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24 SEP 2020 AT 11:51

खुशियाँ कम यहां अरमान बहुत हैं..,
जिसे भी देखो यहाँ हैरान बहुत है..,.
मुश्किल से मिलता है शहर में एक भला आदमी,
यूँ तो कहने को यहाँ इंसान बहुत हैं....!!!

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22 SEP 2020 AT 20:31

वो इश्क़ लिखता है या दर्द लिखता है
कहने वाला क्या खूब लिखता है
मुझसे क्यों जलते हो ज़माने वालों
मेरी कलम पर क्या किसी का खून दिखता है।।

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18 SEP 2020 AT 20:33

फुर्सत नहीं है इंसान को इंसान से मिलने की
ख्वाहिशे है दूर बैठे भगवान से मिलने की

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