Prahlad Singh Chouhan   (✍️कलम के आशिक़ ✍️)
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Joined 15 February 2021


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Joined 15 February 2021
14 JUN 2023 AT 10:48

वो हवा में लहराती जुल्फें, कानों पर लटकते झुमके,गोरे गालों पर काला तिल।
उफ्फ वो चेहरे वाली सादगी,दिल्लगी होना भी है लाज़मी,
और आख़िर क्यों न हारे कोई अपना दिल ।।

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12 FEB 2023 AT 10:06

पाने को एक झलक उस हसीं चेहरे की,बरसों तरसे है।
हुआ आज दीदार तो लगा,बादल मुदत्तों के बाद बरसे है।।

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4 MAR 2022 AT 1:16

नाम तो हमने भी लिखा था उनका,उस पेड़ पर बड़े प्यार से ।
पर कम्बख्त दुनिया वालों ने, वो पेड़ ही काट दिया जड़ से।।

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14 FEB 2022 AT 21:31

अंज़ाम-ऐ-मोहब्बत में इस क़दर लूट गये,
देखने से पहले ही सारे हसीन ख़्वाब टूट गये।।

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10 FEB 2022 AT 23:25

लेकर जूती उनके नाप की सारा शहर घूम लिए,
पर अफ़सोस उन्होंने अपने ठिकाने बदल लिए।

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8 DEC 2021 AT 22:39

टूट गया एक तारा आज,चमकेगा नाम फलक आसमान में सितारों की तरह।
याद आएंगे आप बहुत कप्तान साहेब,गुलशन में महकते फूलों की तरह।।

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25 NOV 2021 AT 16:01

गुज़रा हुआ वक़्त नहीं हुं मैं, जो भुला दिया जाऊंगा।
बाशिंदा हुं इन्ही गलियों का,तहलका मचा कर जाऊंगा।।

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21 NOV 2021 AT 21:55

कभी मैंने भी देखे थे बड़े, हसीन सपने।
अब उनको कतरा-कतरा,टूटते हुए देख रहा हूं।।

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19 NOV 2021 AT 13:43

उफ़्फ़ यह बारिश ,और वो कभी ना ख़त्म होने वाली बातें।
अक्सर याद आती है, चाय पर होने वाली वो मुलाकातें।।

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17 NOV 2021 AT 23:36

मैं,मेरे हालात औऱ मेरे ज़ज़्बात,
बस इतनी सी कहानी है मेरी।

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