Pragya Tomar   (Praज्ञा)
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लिखना पसंद है।
Joined 21 August 2020


लिखना पसंद है।
Joined 21 August 2020
21 JAN 2022 AT 22:53

एक अरसा हो गया लोगों को स्वभाव की तारीफ़ करते नहीं सुना,
सुंदरता के बखान को ही लोग तारीफ़ समझ लेते हैं।

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17 DEC 2021 AT 15:46

तुमने कहा था इंतज़ार करना,कब तक? ये नहीं बताया।

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15 DEC 2021 AT 0:49

क़भी दोस्त बदलते देखा है?
जो कभी सिर्फ़ आपका था, अब उसपे कोई और भी हक़ जताने लगा है,
वो कभी- कभी आपके जितना, कभी आपसे ज्यादा किसी की फ़िक्र जताने लगा है।
जो लड़ जाता था आपके लिए किसी से भी, वो आज खुद की लड़ाईयां सुलझाने में लगा है।
जो आपको कभी अकेला नहीं छोड़ता था, वो आज़ आपके हिस्से से समय बचाने लगा है।
आपके साथ खुलके हँसने-रोने वाला,किसी और के आपसे ज्यादा करीब जाने लगा है।
जो क़भी सिर्फ आपका था वो शख्स अब बँटने सा लगा है।

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4 DEC 2021 AT 15:36

जो सबका दोस्त होता है,वो किसी का दोस्त नहीं होता।

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4 NOV 2021 AT 11:10

बात अगर केवल रोशनी की होती तो बल्ब से अच्छा कोई श्रोत नहीं था,मगर बात तो यहां उम्मीद की है फिर उसके लिए तो दिया ही जलाना था।

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4 NOV 2021 AT 10:52

हर तरफ़ रोशनी करते करते ये भूल मत जाना,
इस बार एक छोटा सा दिया अपने दिलों में भी जलाना।

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5 SEP 2021 AT 15:03

ये रत्ती भर का जग सारा।

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31 MAY 2021 AT 11:29

मेरे ख़िलाफ़ मेरे दुश्मन नहीं, मेरे अपने ही हैं कहीं न कहीं।

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28 MAY 2021 AT 23:11

शिकायतें तो काफ़ी हैं ज़िन्दगी से,
बस! मसला ये है कि करूँ किससे।

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25 FEB 2021 AT 19:34

किनारे पर तैरकर बहुत आसान है लहरों के साथ बहना, एक बार मझधार में आ कर देखो डूब न जाओ तो कहना।

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