नाराज़ नहीं, लगता है अब तो शायद,
नासाज़ हो गया हूं
ए ज़िंदगी!
कल को मुक्कमल करने के जुश्तजू में, टूटा
हुआ आज हो गया हूं
ये आजमाईशे, गूंजाएशे, नुमाइशे अभी
और कितने बाकी है तेरे
ए ज़िंदगी!
बड़ी मुश्किल से पहुंचा था संभंलने के अंजाम
तक मगर फिर से बिखरने का
आगाज़ हो गया हूं।।-
पूरे असमा की मुझे तलब कहां
मगर एक वही तारा मुझसे टूट गया है...
पूरी उम्र है जो बतानी उसके बगैर
फ़िलहाल लम्हा लम्हा मुझसे रूठ गया है..
है क्या मंसूबे इस मंजर के हूं बेखबर सा
बस इतना है पता मुझसे मेरा ही कुछ छूट गया है....
Pragya✍️✨Singh
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पलभर में दहल जाये दिल दस्तक _ए _अजाब से,
ऐसे मंजरों का तो एक दौर लिए बैठे हैं,
कैफ़ीयत बयां करती है...इन शांत खामोशियों के भीड़
में फड़फड़ाता एक शोर लिए बैठे हैं।।-
पन्ने पलट गए फिर क्यों खुद को दोहराती है कहानी....
आज भी अश्कों में झलक जाती है उस हिस्से की निशानी!!-
बेपरवाही के कश्ती से नये ख़्वाबों को पिरों के,
आँखों के सैलाबों से ये रिश्क़ लिया जाए
बहुत हो गई अब ज़माने से आजमाइसें
चलों न थोड़ा खुद से इश्क़ किया जाए!!-
बड़ा आसां है किसी और को बोलना, खुदके दिल मे भी कोई आइना-ए-आवाज है क्या?
यूँ ही तो नही बदलते रिश्तें इस जहाँ के देखना,कहीं कोई धागा नाज़ुक-ए-नासाज़ है क्या?
ये जो दूसरों के किरदार पे इतना सवाली है जमाना, तो इन्हे बता दूँ.....
ऐसे कैसे बदल दे, ये शख्सियत है हमारी ,कोई मौसम-ए-मिज़ाज़ है क्या....!
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इतनी बेरंग भी नहीं ये ज़िंदगी जितनी नज़र आती है
लम्हा-लम्हा इबादत में कही-कुछ असर दिखलाजाती है
मिलना-छूटना,नाकामी-बेनामी तो बस एक ही
पहलू है यदि गौर करो दूसरे पर तो....
आज का तमस भी;साथ मे,कल के होनेवाले उजाले की खबर लाती है!!-
बेख़याली में ऐसा खोया की कहीं खो ही न दू खुद का पता ही ये डरसा हो गया है
हैं कोई आइना जिसमें तराश सकूँ खुदको? खुद से मिले मुझको अरसा हो गया है
__Pragya✍️✨Singh
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Life is a mysterious journey,it depends on you how to prepare and react on its turning points.— % &
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