बहुत कुछ बोलना नहीं आता
कभी चुप रहूं तो खामोशी को समझना
कमजोर नहीं हूं,
पर कभी अकेली रह जाऊं तो बस सीने से लगा लेना
प्यार की बातें नहीं आती
पर कभी डाटू तो फिक्र में ओछल प्यार देखना
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तुम से मिलकर जब निखरे थे वो भी इश्क था
आज तुम से बिछड़ के बिखर रहे वो भी इश्क है।-
वो शख़्स जो झुक कर आपसे मिला होगा,
यक़ीनन उसका कद आपसे बड़ा होगा ।-
इत्र सी महकती है यादें तेरी वरना तू ही बता
किसी का नाम सुन कर भी कोई मुस्कराता है क्या :)-
न ऐसी ख़ुश-लिबासियाँ
कि सादगी गिला करे
न इतनी बे-तकल्लुफ़ी
कि आइना हया करे
न इख़्तिलात में वो रम
कि बद-मज़ा हों ख़्वाहिशें
न इस क़दर सुपुर्दगी
कि ज़च करें नवाज़िशें
न आशिक़ी जुनून की
कि ज़िंदगी अज़ाब हो
न इस क़दर कठोर-पन
कि दोस्ती ख़राब हो-
साहिफ़ो को पढ़ते हुए जो उनके चेहरे पर जो हल्की सी तबस्सुम है ना,
इससे पता चलता है कि हर्फ़ों में हम ही है।
साहिफ़ो(books),तबस्सुम(smile),हर्फ़(word)
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उंच-नीच से परे
मजाल आँख में भरे
मैं लड़ रहा हूँ रात से
मशाल हाथ में लिए
न सूर्य मेरे साथ है
तो क्या नयी ये बात है
वो शाम होता ढल गया
वो रात से था डर गया
मैं जुगनुओं का यार हूँ
मैं शून्य पे सवार हूँ-