देह से प्रेम का समाप्त होना ,ठीक उसी प्रकार है...
जैसे खुली हुई शीशी से... इत्र का उड़ जाना-
मैं एक प्रकृति प्रेमी🌿🌲🌳🌷💐
📕मेरा पहला एकल काव्य संग्र... read more
कुंजगली में घूमके, कान्हा फेंके जाल।
प्रेम रंग से रंँग दिया,हर गोरी का गाल।
जोगिरा सारा रा रा,जोगिरा सारा रा रा-
कमल विराजती हैं ,वीणा को बजाती अम्ब,
प्रज्ञा हो प्रखर सदा ,वरदान दीजिए।
ज्ञान की पिपासा आप,दूर करो शरण में,
ज्ञानदायिनी हूँ आई ,मुझे ज्ञान दीजिए।
कुविचार दूर रहें ,सुविचार देना अम्ब,
शब्द शब्द रस भरे, श्रेष्ठ दान दीजिए।
छंद संग अलंकार ,कविता में रचे बसे,
अपने उपासकों को,आप मान दीजिए।-
किसी देश को बर्बाद करना है,
तो उसके युवाओं को बर्बाद कर दो....
( पहला कारण सोशल मीडिया,
दूसरा पार्लियामेंट में बैठे 545 लोग.... कोई न कोई कारण उपलब्ध करा ही देते हैं जिससे फेसबुक और व्हाट्सएप के यूनिवर्सिटी से पढ़े हुए लोग वहीं वाद विवाद में उलझे रहते हैं )-
नयन नीर निशिदिन बहे,मन से निशा न जाय।
भाव भ्रमित भयभीत है,कब कान्हा को पाय।-
कान्हा तेरे प्यार में,नयन भरे है नीर।
क्यों बिछड़े तुम सांवरे, यों जमुना के तीर।-
व्याकुल हृदय है नेह में
तड़पें विरह जब देह में
चित मन सभी खो गए।
ये संग प्रिय के हो गए
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जिस समय प्रेम को बांधा जाता है बंधनों में....
उसी प्रेम में जन्म होता है वासना का....-
क़ल्ब होता है नहीं सबको बसाने के लिए
इश्क होता है नहीं सब पर लुटाने के लिए-