Pragya Dixit   (Gauri)
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Joined 26 February 2021


Joined 26 February 2021
15 MAR 2021 AT 20:10


"My-self"




Unlike others I value my being always..

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13 MAR 2021 AT 3:19

बेशक रब ने हमे क्या खूब "नर्म दिल" से नवाजा..
ज़रा कुछ सख्त सा लग जाए इसे..
तो दर्द से रो पड़ता है पागल....

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13 MAR 2021 AT 3:11

अब बस..
अब और ना सिखाओ हमे ये दुनियादारी तुम..
कि ज़रा थक से गए हैं हम उनकी फिकर करते करते जो तुम्हें अज़ीज़ हैं..
आज फर्क पड़ता है तो बस इस बात से कि जितनी गुज़र रही है हम पर, तो तुम कहां गुम हो जब किस्सा हमारी फिक्र का है।।

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3 MAR 2021 AT 2:22

ये कैसा मगरुर है दिल मेरा, बेहद नादान एक बच्चे सा..
सबक ले कर भी ये अपनो से बाज़ आता नही..
फिर से खुद को रखने चली थी उस कसौटी पर मैं तीसरी दफा..
जिस के दर्द का कतरा कतरा सिर्फ मेरा ही रहा..
आज लड़खड़ाए जब कदम
चार कदम भी जब चलना मुझ से मुश्किल हुआ
और कोई न उठा देने सहारा मुझे
तो मगरुर दिल ये मेरा बस यही गुनगुनाता रहा –
"इतनी टूटी हूं कि छूने से बिखर जाऊंगी,
अब अगर और दुआ दोगे तो मर जाऊंगी।।"

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26 FEB 2021 AT 14:51

रिहाई चाहती हूं, चैन भरी सांसों का मकाम चाहती हूं..
वो लोग कहां हैं इस दुनिया में जो मुझे चाहे मुझे मेरी हकीकत के साथ..
मैं ऐसे ही फरिश्तों के संग जिंदगी चाहती हूं।।

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