pragati shelke   (@ownwords_by_ pragati✍️)
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Joined 16 May 2020


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Joined 16 May 2020
18 JAN 2022 AT 20:15

Mirror
A disturbed mind but a beautiful smile
Mirror urged to find her strayed joy in a while!
she danced with a crown
in front of the mirror
jumping up and down
when she heard her smile clear!
Arduous to know when nobody heard her
inevitable tears flow
which a mirror knows, she prefer!
when "grim" they call She confined her fear
mirror propped her soul
and now, look how firm she appear!

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17 NOV 2021 AT 23:08

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14 OCT 2021 AT 19:31

किसी के अच्छे वक्त का हकदार चाहें जो भी होगा,
बुरे वक्त के हिस्सेदार हम शौक से है!

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5 SEP 2021 AT 20:31

वक़्त की गहराई में बिखरी सी हूँ,
हवाओं के रुख से मैं सहमी सी हूँ,
एक उजाले की तलब सी है लगती मुझे,
कई अर्से से अंधेरे में ठहरी सी हूँ,

कई सपनों को बिखरते देखा है मैंने,
कई ख़्वाहिश को ख़ुद ही कुचला है मैंने,
इन आँखों को पढ़ कर देखो तो जरा,
कितने लफ़्ज़ों कि खामोशी छुपा के रखी सी हूँ,
एक उजाले की तलब सी है लगती मुझे,
कई अर्से से अंधेरे में ठहरी सी हूँ,

कई चेहरों को मैंने परखा है यहाँ,
कई यादों में तड़प कर जिया है यहाँ,
कभी अपनो को बिखरते देखा है यहाँ,
बड़ी मुश्किल से दुनिया को समझी सी हूँ,
एक उजाले की तलब सी है लगती मुझे,
कई अर्से से अंधेरे में ठहरी सी हूँ
एक उजाले कि तलब सी है लगती मुझे,
कई अर्से से अंधेरे में ठहरी सी हूँ...!

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29 JUL 2021 AT 23:03

दुनिया सोचे की खुली किताब हूं मैं,
सूनकर ये बात जहन मे छुपे राज अक्सर मुस्कुराया करते हैं!

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9 JUN 2021 AT 21:50

I believe in the Power, an energy,a spirit of the universe that underlies the totaliy of everything .

The ease at which i experience life is dependent upon whether I'm in the flow of it or struggling against it.
The way i ensure I'm in the flow is through serving and blessing all that i experience around me.

Through this simple action and mindest i ensure that i have ample amounts of energy and power to accomplish all that I desire for I'm not needlessly weasting it on the struggle.

Through being the blessing I gain access to the power of the universe.

Throwing shade at others, judging others and excluding others destroys my own opportunity to access this power.

I am you. You are me. We are one.!

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18 FEB 2021 AT 20:10

कुठल्याही बाबतीत अपेक्षा असणं मुळात चुकिचं नसतंच,
चुकिचा असतो तर त्या अपेक्षा
पुर्ततेचा हट्ट....!

पण मग हे ही तितकंच योग्य की,
पुर्ततेचा हट्ट नसेल
तर मुळात अपेक्षांचं का असाव्यात....?

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8 NOV 2020 AT 17:19

समंदर पार एक ढलती हूई शाम हो
उसपर साहिल का सुकूंभरा साथ हो
पतझड का मौसम और बारिश की पहली बुंद हो
राहत भरा कोई तो बस वो एक अहसांस हो

कुछ तो पाने की आखों मे आस हो
उम्मिदों पर जिने की थोडी और प्यास हो
हकिकत की आहट कहिं दुर तक न हो
राहत भरा कोई तो बस वो एक अहसांस हो

चाहे हजार खाहिशे, और लाखो सवाल हो
तरसती हूई आखों की तलाश खत्म हो
पलको के निचे जैसै खाब कोई मौजूद हो
राहत भरा कोई तो बस वो एक अहसांस हो

चेहरे पे हसिं कि जगह रुह मे तसल्ली हो
चाहतो की उडांन और जमीं की बंदिशे न हो
महरुम हो जाये जिंदगी ऐसा कोई शामिल हो
राहत भरा कोई तो बस वो एक अहसांस हो
@ownwords_by_pragati✍️

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28 OCT 2020 AT 19:48

तहजिब की बात यु न सरेआम कर
तमिज तूने भी छोडी थी
जरुरत थी जब तुझे क्रोध को दबाने की
जुबां की तलवार तुने तब चलाई थी
आज बारी किसी और की है
तो तुझे लहजा याद आ गया
कल जब बारी तेरी थी
लफ्जों के तीर से जान तुने ली थी
जश्न मनाया था तुने अपनी खुदगर्ज जित का
कायर कहा था किसीको तुने
किसीकी मजबुरी नजर‌अंदाज की थी
आज वक्त उसका आया
कल जो झुक कर गिडगिडां रही थी
सिर्फ आर्या नही थी वो थी पार्वती और दुर्गा भी
तब भी भागी नही थी और ललकार रही आज भी
@ownwords_by_pragati✍️

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11 SEP 2020 AT 21:01

तारे से हुई खुद से खतां
या था आसमा नाराज
टुटा तो इस कदर बेचारा
टुकडे हुये हजार

टुटता देख जिसे हजारो ने दुआं मांगी
वो तो टुटा, आसमां ने मगर कद्र ना जानी
आसमा फिरसे इतराया खुदपर
एकपल न गम हुआ साथ उसका छुटनेपर

तारे ने भी फिर ठान ली
टुटकर एक बार फिर नये सिरे से
आसमा मे चांदनी कर दी

फिर झुका यु आसमां
देखा खुद क़ो समंदर मे
नजर आई सिर्फ चांदनी
टूटकर दि थी जो एक तारे ने...!

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