ख्वाबों को हकीकत बनाते बनाते थक गया हूँ मैं ,
खुद में ही मर गया हूँ मैं,
दास्ताँ - ए - ज़िंदगी कोई लम्बी नहीं है मेरी,
बस कल और आज में सिमट गया हूँ मैं|
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वो मेरे इश्क़ में बावरा है,
ये सरेआम कहता है,
जिसको नज़रें तक न उठा कर देखा मैने,
वो खुद को मेरा यार कहता है|— % &-
यूँ तो हज़ारों चेहरें हैं ज़माने में ,
पर जो सुकून तेरे रुखसार से मिलता था,
वो अब कहीं और नहीं,
रातें तो अब भी होती हैं,
पर अब कहीं वो शब- ए- रात नहीं |
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तुम चाहे गीता बनो या क़ुरान बनो,
इंसान हो इंसान ही रहो ,
मेरे भगवान न बनो|— % &-
मुझसे जब वो ज़िक्र तुम्हारा करता है,
दिल मेरा एक बार कम धड़कता है,
क्या बात रही होगी तुम में,
कि वो अब भी तुम पर मरता है|-
ये इल्ज़ाम हम पर हर दफ़ा लगाया जाता है,
शायर हो, इश्क़ के मारे हो,
अच्छा चलो ये बताओ,
आखिर किस पर दिल हारे हो|-
चाहते तो मेरी बेशुमार रहीं हैं
पर किस्मत को हमेशा नगवार रहीं हैं-
वो मेरे हो कर भी मेरे न रहे,
कुछ बात है जो होंठों पर तो है, पर हम कह न सके|
तुम जान जाओ हाल मेरे दिल का,
तो फिर क्या ही बात है|
तुम सिर्फ मेरे हो,
क्या पता हम कह न सकें|❤-
मेरे बाद सारी फिजायें तेरी होंगी, मेरे बाद ये सारी हवाएँ तेरी होंगी|
जो इश्क़ मेरा इनमें घुल गया है बस तेरा होगा,
इन चाँद तारों की कसम,
वो रात का सन्नाटा भी अब तेरा होगा|
जिसकी खामोशी में ,
मैं अकेले, तन्हा सिमट कर सो जाती थी|
उस हर रात का अंधेरा अब तेरा होगा,
उन सूखे गुलाबों की महक तेरी होगी
जिसमें इंतज़ार मेरा था,
अब वो हर शाम भी तेरी जिसमें मुझे सिर्फ इंतज़ार तेरा था|
अब वो वक्त भी तेरा होगा जो कभी मेरे हक में हुआ करता था,
अब जो नहीं हूँ मैं,
तो हर लम्हा भी तेरा होगा ,
जिसमें तु बस तन्हा और अकेला होगा,
कुछ ज़ख़्म पुराने याद आये तो रो लेना,
गर याद मेरी सताये तो हंस लेना,
क्योंकि मैं अब नहीं मिलूँगी तुम्हें
तुम थे, तुम हो, और तुम ही रहोगे
मुझसे पहले, मेरे होने पर और मेरे बाद बस तुम ही रहोगे,
बस , और कुछ नहीं कहना था तुमसे
इतनी ही सी बात थी,
शायद तुम समझ पाते ,
मुझे तुमसे मोहब्बत कितनी बेहिसाब थी|-
अपनी ज़िंदगी से कुछ लम्हों को चुरा कर,
एक शाम रखी है, तुम्हारे लिए संभाल कर |❤-