बहुत कुछ कहना चाहती थी वो पर उसे सुनने वाला कोई ना था
-
यूं चुपके से तेरा मुझे देखना मेरी धड़कनें तेज कर जाता है
गुजरता है जब तु यूं मेरे करीब से मोहब्बत को और भी बढ़ा जाता है-
आजाद करदो मुझे अपनी सभी यादों से
थक चुकी हूं अब मैं अकेली अपने आंसु पोछते पोछते-
टूटकर किसीको हर रोज बिखरते देखा है
बहुत करीब से किसीको हर रोज बदलते देखा है
उसे क्या मालूम कितना मुश्किल है खुदको इस दर्द से बाहर निकाल पाना ना जाने कितनी ऐसी रातें गुजरी है हमारी जिसमें हमने चांद को ढलते और सूरज को निकलते देखा है-
एक अरसा हो गया खुद से बातें नहीं की हमने अब बस खुद ही से मिलने को जी चाहता हैं
-
निकली हूं दूर कहीं सफर में सुकुन तलाशने को दुआ करना यारों राह में कहीं उसका चेहरा ना नज़र आ जाए मुझे
-
हां मैं अब भुलाना चाहती हुं तुम्हें
दिया था जो जख्म तुने मिटाना चाहती हुं उन्हें
भुलकर उन दर्द भरी यादों को फिर खुद से मिलना चाहती हुं मैं इन सभी बन्दिशों को तोड़कर आगे निकलना चाहती हूं मैं हां अब बस जीना चाहती हुं मैं-
ना संवारा करो इतना अपनी जुल्फों को खुले बालों में तुम बहुत अच्छी लगती हो और करती हो जब तुम यूं शरारत भरी बातें बिल्कुल छोटी सी बच्ची लगती हो
-
महसूस होती है मुझे ये दुरियां क्या तुम भी महसूस करते हो डर लगता है मुझे इस अकेलेपन से क्या तुम भी डरते हो हां खोई सी रहती हु मैं खयालों में कहीं क्या तुम भी खोए हुए हो लो कह देती हुं मैं आज तुम्हें मोहब्बत करती हुं मैं तुमसे क्या तुम भी करते हो
-