टपके आशुओ की तपिश में जलते जलते,
आखो की नमी से,
काजल पिघलकर जमी तक बहकर बिखरते
उसकी सासो को सिसक सिसकर कर चलते संवरते
उसके शब्दों को लड़खड़ाकर ,गिरकर सम्हलते
चहरे के दर्द को , हसी से ढक कर गुजरते, हुए
अपने अहबाब को महसूस किया है-
A Bird without feather,
Like having life, without eager
Few Bird without sky
Like having a world, without life.
A year without Rain
Like having a body without Vein
A breath without feel
Like having a soul without Heal.
-
ऐ समय तू मुट्ठी में कब आयेगा
यादों के भूले बिसरे हुए हुज़रे तू कब वापस लाएगा......
अब तो इंतिहा हो गयी है आंखो में आशुओं के पुलिंदो को लिए,
अब मेरे देश में अमन चैन की बहार ,अब कौन लाएगा..-
जिंदगी के खूबसूरत रास्तों में ,अब कही खो जाऊँगा
मुझे याद जब आयेगी , तो तेरी यादों में खो जाऊँगा
उड़ता हुआ बादल हूं में , हो सके तो मुझे खत लिखना
अगर बरसा तो में,
अपने आशुओ से सूखे जंगलों को भी भिगो जाऊँगा-
नज़र जैसी हो तस्वीर वहीं नज़र आती है
दुनिया तो हसीन है पर इसमें
अपनों की कमी है दोस्तो उनके बिना ये
दुनिया वीरान नज़र आती हैं-
अब किस बात की गिला और किससे शिक़ायत
किस बात का गम और अब किस की रिवायत
पतझड़ के मौसम ने इस दफा
बिखेर के रखा दिया है मुझे
अब ये कसूर मेरा ही है या है ये खुदा का रियायत-
अब किस बात की गिला और किससे सिकायत
किस बात का गम और अब किस की रिवायत
पतझड़ के मौसम ने इस दफा
बिखेर के रखा दिया है मुझे
अब कसूर मेरा ही है या है ये खुदा का रिवायत-
Stay away from me
मुझसे दूर रहोगी तो ख़ुश रहोगी
शायद तुम , पर में नहीं
पता नहीं क्यों कभी कुछ कह नहीं पाया तुमसे
तुम्हें देख कर ही इतनी खुशी मिल जाती थी
कि इसके आगे कुछ बोल ही नहीं पाता था
पता नहीं अब इतने सालो बाद भी, मुझे ऐसा क्यों लगता है
कि तुम हमेसा मेरे साथ ही रहती हो, मुझ में ही कही
हर पल कुछ बाते करती रहती हो
कुछ नया सिखाने की कोशिश करती रहती हो
जैसे तुम हमेशा करती थी
अब में अपनी जिंदगी से खुश हूं या नहीं
थोड़ा कंफ्यूज हूं
पर अब जब तुम्हारी याद आती है
तो लिख लेता हूं
लिखने के बाद थोड़ा अच्छा लगता है
और फिर मन में ही तुमसे बात कर लेता हूं
तुम्हे भूलना नामुमकिन है ये तो जल्द पता चल था गया मुझे
पर अब पता नहीं तुम अच्छी थी या तुम्हारी याद
थोड़ा कंफ्यूज रहूंगा हमेशा..........-
तुम्हारी आंखों की खामोशी, अब मुझसे सहन नहीं होती
अपने दिल की बात तुमसे कहूं,
इतनी अब हिम्मत नहीं होती
पागलों कि तरह हर रात जगने लगा हूं में
अपनी हसी में, अपने गमों को छुपाने लगा हूं में
अब अपने दिल की दिल ही में ,
दफन करने की दवा ढूंढने में लगा हूं में
-
तुम्हारे आखो की ख़ामोशी , मुझसे अब सहन नहीं होती
अपने दिल की बात तुमसे कहूं,
इतनी मुझमें कभी हिम्मत नहीं होती
अब पागलों कि तरह , हर रात जगने लगा हूं में
अपनी हसी से,अपने गमों को छुपाने लगा हूं में
अब पता चला इश्क़ से बड़ी ,कोई चीज़ नहीं होती
-