मुझे आकर्षित करती है वो लड़कियाँ
जो बेखौफ और मुँहफट हो
जिसे बेमतलब की गॉसिप्स नही
रिश्तों में सच्चाई और ईमानदारी पसंद हो
मुझे आकर्षित करती है वो लड़कियाँ
जो खोई रहती है किताबें, साहित्य और कविताओं में
जो लुत्फ उठाती है प्रकृति के हर रंग का
जो जीवन काटने में नही जीने में विश्वास रखती है-
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मालूम है मुझे, तुमसे एक दिन बिछड़ जाना है
सच पूछो तो उस दिन मुझे टूट के बिखर जाना है
तेरी किस्मत ख़ुदा ने कहीं और
मेरी कहीं और लिखी है
जानता हूँ मेरी किस्मत में तु नहीं
तेरी किस्मत में मैं नहीं
फिर भी ना जाने क्यों!!!
तुझसे से ये प्रीत कैसी लगी है...-
तुमने कहा, क्या लिखोगे...
ग़र कुछ लिखना हो मुझपर
मेरे बावरे मन ने कहा,
ग़र कह दूं जो सच
तो चंद लाइने नहीं
एक पूरी किताब लिखूंगा तुझ पर
वो लिखूंगा जो देखा है तुझमें
वो भी लिखूंगा जो देखना है बांकि
तेरी आंखे लिखूंगा उसमें काजल भरूंगा
हाय्य्य! क्या लगती हो उसमें
ये शब्दों में कैसे गढूंगा
तेरी जुल्फे लिखूंगा उसमे गजरे भरूंगा
तेरे चेहरे पर गिरते जुल्फों की लटाएं
रहने दो इस पर कुछ ना कहूंगा
तेरी प्यारी आवाज़ पर भी है लिखना
तेरी घंटो की बकबास पर भी है लिखना
तेरे नख़रे भी लिखूंगा,
अरे छोड़ो... बहुत कुछ है लिखना
चन्द लाइनों में नहीं
तुझ पर जब भी लिखूंगा
एक पूरी किताब लिखूंगा-
वो कहती है... तू समझा कर
हर बात मैं बता नहीं सकती
मैं इंट्रोवर्ट हूं, दिल की हर फीलिंग
मैं जता नहीं सकती
मैं ठहरा अल्लड़ सा पागल लड़का
उसकी बातों में खो जाने वाला दिलकश दीवाना लड़का
मुझे नहीं समझना उसकी अनकही... अनसुलझी बातों को
मुझे तो बस उससे ही सुनना है उसके हर जज्बातों को
क्योंकि वो जज्बात बताते अच्छी लगती है
वो मुझ पर प्यार जताते अच्छी लगती है-
यूं तो समझता हूँ, तेरी हर एक बात
तेरे चेहरे की हर एक शिकन हर एक नाज़
पर, जान कर अंजान बनता हूँ अक्सर
चाहता हूं तुम बताओ अपने सारे जज्बात
जो पढ़ा है तुम्हारी आँखों में, चमकते पेशानी पर
कह दो वो सारी बात
क्योंकि, तुम जज्बात बताते अच्छी लगती हो
तुम प्यार जताते अच्छी लगती हो-
कोई तो हो जिसके साथ बैठकर घंटों बतियाएं
ग़म में एक-दूसरे की हिम्मत बनें
खुशियों में एक साथ हँसे ख़िलखिलाएँ
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ये कमबख़्त कैसा ख़्वाब देखा हमने
कि लोग पागल समझने लगे
सामने तो नहीं पर पीठ पीछे
लड़का गया हाथ से, ये कहने लगे-
लोग मिले, बिछड़ गए
सोचता हूँ,
मिले ही क्यों जब था बिछड़ना
जुड़े ही क्यों जब था दरकना
किसी ने अपनी कहानी छोड़ दी
तो किसी की निशानी रह गयी
वो दिन यादों में रबानी सी रह गयी-
एक अरसा जीने के बाद
लगता है
कुछ दूर चलने के बाद
कई बार रुकना भी
कितना जरूरी होता है!-
किसी के इंतज़ार में ताउम्र बिता दूँ,
इतना प्यार नहीं होता मुझको
किसी की याद में खोकर
ये खूबसूरत पल गवां दूँ,
इतना प्यार नहीं होता मुझको
मैं निरतंर चलता ही चला,
अपनी धुन में बहता ही चला...
किसी के प्यार में खुद की आन गवां दूं,
इतना प्यार नहीं होता मुझको-