स्याही पूरी हैपर कागज़ खाली है,मैं शब्दों को भूला हूँया शब्द मुझको भूल गए... -
स्याही पूरी हैपर कागज़ खाली है,मैं शब्दों को भूला हूँया शब्द मुझको भूल गए...
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आज ख़ुद को बेहतर बना रहा हूँ मैं,कल के सवालों का जवाब देने को... -
आज ख़ुद को बेहतर बना रहा हूँ मैं,कल के सवालों का जवाब देने को...
प्रारम्भ है माँमैंने शिशु को बोलते सुना है‘माँ ’ से सरल कुछ नहींशब्द भी है माँअर्थ भी है माँकठिनाई में उद्घोषणा है माँप्रेरणा है माँजीवन की आधार है माँहम सबका परिवार है माँ ।। -
प्रारम्भ है माँमैंने शिशु को बोलते सुना है‘माँ ’ से सरल कुछ नहींशब्द भी है माँअर्थ भी है माँकठिनाई में उद्घोषणा है माँप्रेरणा है माँजीवन की आधार है माँहम सबका परिवार है माँ ।।
यहाँ गम की कोई कमी नहीं,पर मुस्कुराना तहज़ीब है मेरी... -
यहाँ गम की कोई कमी नहीं,पर मुस्कुराना तहज़ीब है मेरी...
“It no more worries me,heartbreaks no more fascinates me.I'm the way i'm,and it's good to be myself.” -
“It no more worries me,heartbreaks no more fascinates me.I'm the way i'm,and it's good to be myself.”
जीवन की क्या परिभाषा है,कभी आशा, कभी निराशा है,यदि संघर्ष नहीं तुमको करना,फिर सपनों की क्यों अभिलाषा है । -
जीवन की क्या परिभाषा है,कभी आशा, कभी निराशा है,यदि संघर्ष नहीं तुमको करना,फिर सपनों की क्यों अभिलाषा है ।
कुछ अशांत सा रहता है मन आजकल,शायद मैं भी अब बड़ा हो गया हूँ...–©Pradumn Maurya ‘विशेष’ @th._ink -
कुछ अशांत सा रहता है मन आजकल,शायद मैं भी अब बड़ा हो गया हूँ...–©Pradumn Maurya ‘विशेष’ @th._ink
दिल को क्या कहना फ़िरक्या दिल भी बुज़दिल है,इश्क़ में हो या दर्द में होधड़कता फ़िर भी दिल है ।–©Pradumn Maurya ‘विशेष’ @th._ink -
दिल को क्या कहना फ़िरक्या दिल भी बुज़दिल है,इश्क़ में हो या दर्द में होधड़कता फ़िर भी दिल है ।–©Pradumn Maurya ‘विशेष’ @th._ink
ये उजाला क्या मुझे ख़ैरात में मिला है,तुमने मेरी तन्हा अंधेरी रातें नहीं देखी...–©Pradumn Maurya ‘विशेष’ @th._ ink -
ये उजाला क्या मुझे ख़ैरात में मिला है,तुमने मेरी तन्हा अंधेरी रातें नहीं देखी...–©Pradumn Maurya ‘विशेष’ @th._ ink
कुछ यादों को बिसरने कासमां आ गया,तुम चलो मेरे दोस्तमेरा मकाँ आ गया ।फ़िर मिलेंगे कभीगर फ़ितरत में होगा,पहली मुलाकात में ही मज़ा आ गया ।तुम चलो मेरे दोस्तमेरा मकाँ आ गया ।–©Pradumn Maurya ‘विशेष’ @th._ink -
कुछ यादों को बिसरने कासमां आ गया,तुम चलो मेरे दोस्तमेरा मकाँ आ गया ।फ़िर मिलेंगे कभीगर फ़ितरत में होगा,पहली मुलाकात में ही मज़ा आ गया ।तुम चलो मेरे दोस्तमेरा मकाँ आ गया ।–©Pradumn Maurya ‘विशेष’ @th._ink