Pradumn Maurya ‘विशेष’  
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Joined 21 April 2018


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Joined 21 April 2018

स्याही पूरी है
पर कागज़ खाली है,
मैं शब्दों को भूला हूँ
या शब्द मुझको भूल गए...

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आज ख़ुद को बेहतर बना रहा हूँ मैं,
कल के सवालों का जवाब देने को...

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प्रारम्भ है माँ
मैंने शिशु को बोलते सुना है
‘माँ ’ से सरल कुछ नहीं
शब्द भी है माँ
अर्थ भी है माँ
कठिनाई में उद्घोषणा है माँ
प्रेरणा है माँ
जीवन की आधार है माँ
हम सबका परिवार है माँ ।।

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यहाँ गम की कोई कमी नहीं,
पर मुस्कुराना तहज़ीब है मेरी...

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“It no more worries me,
heartbreaks no more fascinates me.
I'm the way i'm,
and it's good to be myself.”

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जीवन की क्या परिभाषा है,
कभी आशा, कभी निराशा है,
यदि संघर्ष नहीं तुमको करना,
फिर सपनों की क्यों अभिलाषा है ।

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कुछ अशांत सा रहता है मन आजकल,
शायद मैं भी अब बड़ा हो गया हूँ...

–©Pradumn Maurya ‘विशेष’
@th._ink

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दिल को क्या कहना फ़िर
क्या दिल भी बुज़दिल है,
इश्क़ में हो या दर्द में हो
धड़कता फ़िर भी दिल है ।

–©Pradumn Maurya ‘विशेष’
@th._ink

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ये उजाला क्या मुझे ख़ैरात में मिला है,
तुमने मेरी तन्हा अंधेरी रातें नहीं देखी...

–©Pradumn Maurya ‘विशेष’
@th._ ink

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कुछ यादों को बिसरने का
समां आ गया,
तुम चलो मेरे दोस्त
मेरा मकाँ आ गया ।

फ़िर मिलेंगे कभी
गर फ़ितरत में होगा,
पहली मुलाकात में ही
मज़ा आ गया ।

तुम चलो मेरे दोस्त
मेरा मकाँ आ गया ।

–©Pradumn Maurya ‘विशेष’
@th._ink

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