हमने देखे हैं
फूलों के बाजार भी,
जहाँ एक ही टोकरी
के फूलों को...
मंदिर सजाने के लिये,
मस्जिद सजाने के लिये,
बारात के लिये,
शौगात के लिये,
नेता के स्वागत और
शहीदों को याद के लिये,
गजरे सजाने और
सुहागरात के लिये ले जाते हुये..
अजीब दुनिया,अजीब दस्तूर हैं
कल साथ थे,आज बिछड़ गये..
कोई उधर तो,कोई इधर गये..
जाति-धर्म उसका था नहीं
फिर भी..उसे अपनाने लगे,
बाग बगीचो में ज़िंदा थे,
आसानी से तोड़े गये..
बिकने के नाम पर
बाजार में बिखेरे गये..
ये सच्च हैं ✅️ये जीवन हैं,
आज ज़िंदा हैं तो कल मरण हैं..
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