When I'am still living on the inside,
Amazing
Things
Happen!
-
☀️"कर्ण वही कहलाया था"☀️
हर आंधी को ठुकराने का
साहस उसमें भी समाया था
सुरज माथेका तिलक लिए
जब कर्ण वही कहलाया था ॥
एक शख्स ने अपनी बाहु में
दुनिया का भार उठाया था
मृत्युंजय की ललकार उठी
तब कर्ण वही कहलाया था ॥
कण कण में कर्ण बसाया था
मन ही मन उसे लगाया था
रणभूमि का इतिहास कहें
और कर्ण वही कहलाया था ॥
जिसकी बाजु को थाम लिए
वृषसेन उभर कर आया था
अब भीष्म पिताके बाद कोई
तब कर्ण वही कहलाया था ॥
✍️कवि प्रदीप (साह़िल)
-
'पापणीच्या कोंदणात'
तुझ्या ऐश्या देखण्याने
मज चित्त हरपले
आता वळवाय ध्यान
अंतर्मन चरखले!
किती घायाळ जाहले
कुणी गयावया केले
लगबग पाखरांचे
थवे उडूनिया गेले!
प्रश्न होता तुझा माझा
मनातल्या वल्गनांचा
भरलेला माठ डोई
घट आकंठ पाण्याचा!
यावे आमुचिया दारी
लक्ष वेधूनीया घेई
पुनवेच्या नभरात्री
साज चांदणीला येई!
तुझ्या तिरप्या चालीत
मोर पिसारे फुलती
पापणीच्या कोंदणात
दुध सागर भरती!
तव लाजरे श्रीमुख
नजरेने मी नाहले
कळा गहन सोशिल्या
हृदयाचे पाणी झाले!
...✍©प्रदीप बडदे, नवी मुंबई.
-
"मज़हब"
सुनो दीवानों क्या चाहते हो तुम
अपनी महबूबा से?
क्या रीश्ता निभाते हो तुम
उसके त्याग के बदलेमें?
सच तो ये है तुम बस
उसे अपना मज़हब समझते हो!
जो एक बार हासिल किया
उसे ज़िंदगी भर भूल जाते हों!
क्या यहीं है तुम्हारा प्यार
या है सिर्फ़ एक मज़हब!
जिसे पाने के लिए सौ दफा अर्ज किया
मंदिर-मस्जिद में जिसके लिए जाप किया,
साफ साफ नज़र आ रहा है
तुम्हारा वजूद क्या था?
आज वहीं प्यार गर ढूंढने निकलते हो
तो लाखोंकी भीड़ में तुम क्या पाते हो?
सिर्फ़ मज़हब.... मज़हब....!!-
हर ज़र्राऽऽ ज़र्राऽऽ कतराता हैं
उसके दीदार ए रुख्सा को
बड़ी शोहरत से मुकम्मल हुए हैं
अब जाके अंजाम मिला है कड़ी मेहनत को-
वारा मंद वाटतो
स्वप्न जहरी भासते
वणवा भयाण वाहतो
माळ सळसळतो....
दिवा अकाली विझतो
रान कणकण पेटते
पाऊस ओशाळतो
सरींवर सरी बरसतो....
-
My scary days which was in desperate and undesirable moment's .I'm damn sure that was a time to struggle the big tribute....🎌🚵🎻⚡
-
अब तो ऊसी राह पर डटे रहने को जीं चाहता है
जहाँ पहले कभी हम यूँही मिला करते थे ।।
कौंन जाने किसी बेबसीकी आँचमे तुम चली आओ
और आज भी मुझे वहाँ देखकर तुम हैरां ना हो जाओं ।।-