सहेजना....✍️💫
( अनुशीर्षक में पढ़े...)-
❤️ हम क्या है ,ये सिर्फ़ हम जानते है....
लोग तो हमारे बारे मे... read more
तन्हा सफ़र में चलते चलते,
आदत कुछ यूं हो गई है ,
अब कोई मिल भी जाए
तो अच्छा नहीं लगता ,
हो रास्ता भीड़ भरा
तो अब अच्छा नहीं लगता।
ये पेड़,ये जंगल, ये हवाएं
और खुशनुमा नजारे है ,
इन सुनसान रास्तों में भी
कोई हमसफर अच्छा नहीं लगता।
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हाल तो हम भी बता दें दिल खोलकर अपना
कि हाल तो हम भी बता दें दिल खोलकर अपना
मसला महज ये है कि दिल से किसी ने पूछा ही नहीं...-
मैं रोऊं और वो सारा जहां सिर पे उठा ले
मुर्शद, मुझे ऐसा एक हमसफ़र चाहिए ॥-
अजब सी कश्मकश है तेरी कारगुजारी की
ज़िंदगी बहुत आगे बड़ गई है बचपन से
और हद हो गई है समझदारी की ......
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थोड़ी सी सहानुभूति और थोड़ा सा प्यार,
दर्द में हज़ार दवाओं से ज्यादा असर करता है ॥
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ज़िंदगी उलझी हुई हैं हकीकत और ख़्वाबों के बीच
और लोग कहते हैं हम मुस्कुराते बहुत हैं.....
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कभी हर पल मुस्कुराती है ज़िंदगी
कभी हर सांस आखरी लगती हैं....
कभी सारे ख़्वाब सच लगते है
कभी हकीकत भी ख़्वाब लगती हैं....
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