Pradeep vishwakarma   (#nobody)
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Joined 6 December 2019


Joined 6 December 2019
25 JUN 2024 AT 0:13

स्याह बनके जैसे जैसे पन्नों पे खुदको गिराता जाऊंगा।
वैसे वैसे मेरे जेहन से मैं तुझको मिटाता जाऊंगा।

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15 FEB 2023 AT 21:29

थोड़ा सा है इश्क,या फिर बेपनाह है
मैं हूं,बरसात है, तू पर कहां है।

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13 JAN 2022 AT 18:26

दोस्ती हुई है या इश्क पता नही,
पर जो तुझसे हुआ,वो किसी से हुआ नही

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31 DEC 2021 AT 23:05

दिल ही नही भरोसा भी तोड़ देता है,
जब कोई किसी और के लिए किसी को छोड़ देता है।

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19 DEC 2021 AT 17:39

पहले दिल लगाया सपने सजाए जो टूट के बिखर गए।
फिर कलम उठाई और और सारा गुस्सा पन्नो पर उतर गए।

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29 OCT 2021 AT 23:26

जब हमारी नज़रों ने एक दूजे को छुआ था।
मेरी तरह तो तुझे भी इश्क हुआ था।
देर रात तक बातो का सिलसिला होता था,
सुबह चंद घंटों की नींद में तेरे सपने संजोता था।
जब किसी और के लिए तुम जुदा हो गए,
खुशी से थे पहले फिर सजा हो गए,
अब समझ आ रहा नींद खोना ही क्यों
तुम्हे अब याद तक नहीं तो मुझे रोना ही क्यों

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27 OCT 2021 AT 21:03

मन का सुकून गया है,आंखे कहां सोई है आजकल,
बरसाते उतनी नही हुई है,आंखे जितनी रोई है आजकल

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26 OCT 2021 AT 12:44

न कभी तेरा नाम लिखा था,ना कभी तेरा नाम लिखेंगे,
जब कभी आएगा तेरा नाम गजलो में,सर झुका करके सजदा करेंगे।

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19 OCT 2021 AT 18:07

जिंदगी के कश्मकश से थे हारे हुए
आंसुओ और गम के थे सहारे हुए,
जब तुम आए तो जैसे खुशी छा गई,
जब हम तुम्हारे हुए तुम हमारे हुए

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18 OCT 2021 AT 12:36

तेरा दिल लगाना और छोड़ जाना,
नाटक तेरा काफी अच्छा था।
तुम कर न सके मोहब्बत तो क्या,
पर मैने जो किया वो इश्क सच्चा था

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