अंधेरी रातो मे जगमगाते दिये जलाये किसने
कांटो की राह मे ये फ़ूल बिछाये किसने
किसने मदहोश कर यूं लूट लिया है मुझको
आंखों के अश्के जाम से कदम बहकाये किसने
गुलजार हो जाते है बियाबान भी महफ़िल मे
फ़िर ये बिगडे बेरंग बियाबान बनाये किसने
हसरतो का तहखाना ओर कब्र तमन्ना की
अरमानो के महके हुए यहाँ राज छुपाये किसने
बंद आंखों मे बसे हुये ख्वाब ज़िंदगी के
थे दूर कभी आज फ़िर से सजाये किसने
काबिले-तदबीर मे कोई सजदा क्या करे
"तन्हा" पर तन्हाई के मरहम लगाये किसने..- चर्चा-ऎ-प्रमीन
28 DEC 2018 AT 16:30