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English & हिंदी poetry😊
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बेसबब बेइंतहां मोहबत करते थे,
उस काफ़िर के नज़रों में ख़ुद नाचीज़ होकर।
बस माँगते थे उसका साथ उसकी इनायत,
शागिर्दी-ए-फ़कीर बन कर।
शायद फिर वो तन्हा हो गयी,
अंजान राहगीर बनकर।
कभी साथ कसमें खाती थी,
अमावस्या रातों को पूर्णमासी बनाने की।
ख़ुद ही दूर हो गयी न कर के वफ़ा,
मेरे साथगी को बड़ी सादगी से छोड़ा मजबूर बनकर।-
आँशुओ की कद्र होती तो,
कोई किसी को रोने न देता।
न मिलने का डर होता तो,
कोई किसी को खोने न देता।
बात अगर ईमानदारी से मोहबत की होती,
तो कोई पीठ पीछे भी गलती न होने देता।-
क्या मैं आपके लिए महत्वपूर्ण हूं।
जब चाहा याद किया, जब चाहा भूल गए,
किये हुए उपकार मेरे सब कैसे धूल गए।
हम ये नही कहते किये उपकार जतावो,
क्या मैं अब इतनी भी जरूरी नही बताओ।
अरे हम तो बस कद्र चाहते थे,
थोड़ा मोहबत में ख़ुद के लिए सब्र चाहते थे।
चलो उन लम्हो को याद करो,
ज़ेहन में झाँक यादों को स्मरण करो।
छोड़ो बस मुझे मेरी तुम्हारे जीवन मे जरूरत बता दो,
तुम, तुम्हारे कदमों में जन्नत है मेरी,
क्या मैं तुम्हारे लिए अब भी महत्वपूर्ण हूं बस इतना बता दो।
चलो जो गलती हुई सो हुई,माफ़ करो अब हमें,
थोड़ा रिश्ता आगे तो बढ़ा दो,
एक अनजानी गलती की इतनी बड़ी तो सज़ा न दो।
क्या मैं आपके लिए मत्वपूर्ण हूं बस इतना बता दो।
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मेरा बचपन था हसीन,
थोड़ा मीठा, थोड़ा नमकीन।
जब याद आते है वो दिन,
जब थे हम शैतान संगीन।
जहाँ धुन थी बस खुश रहने की,
तब न गुस्सा था किसी से कुछ कहने को।
वो बचपन जब जब याद आती है,
आँखे भर आती है, खुशी छा जाती है।
तब माँ के लिए हम राजा थे,
पिता जी के लिए थे राजकुमार।
पिता जी बन जाते थे घोड़ा हम बनते थे सवार।
माँ तड़प जाती, पिता जी हो जाते थे परेशान,
जब जब हम होते थे थोड़े से3 बीमार।
वो भी क्या दिन थे,
न खाने की सुध, सोने के जिद।
मेरा बचपन था हसीन,
थोड़ा मीठा, थोड़ा नमकीन।
जब याद आते है वो दिन।-
सबने कहा वो बेटी हैं क्या ही कर पायेगी,
उसने कहा ये बेटी माँ भारती के लिए पदक लाएगी।
तिरंगे का मान बढ़ाएगी, उसको उच्च फहराएगी,
विश्व पटल पर माँ भारती की गौरव वो बढ़ाएगी।
जहाँ बेटी को मारा जाता है कोख में,
जहाँ बेटी पैदा होते डूबे कुनबा शोक में।
वहाँ सशक्त नारी का परचम लहराया,
बेटी के मातम में डूबे लोगो को बेटी ने हँसाया।
जीत रजक मीरा ने भारत का शान बढ़ाया,
फिर एक बेटी ने जीत का आगाज़ रजत से कर दिखाया।-
सुनो छोड़ दिया है तो रहने दो,
ये जो बेवफ़ाई का दर्द है सहने दो।
देखों बहूत हुआ रूठना मनाना,
बहूत हुआ अब बहाने बनाना।
अब टूट चुका हूं रिश्ता निभाते निभाते,
टूट गया मैं तुमको समझाते समझाते।
खैर अलग होना ही एक उपाय है,
इसमें दोनों की सहमती और राय है।
ये रिश्ता न जानें अभी कितना जख़्म देगा,
साथ रहे तो न जाने कितना सितम होगा।
अब हमें सब भूल कर अलग होना पड़ेगा,
जुड़ा था तुमसे मोहबत की ख़ातिर,
पर बिछड़न का ज़हर पीना पड़ेगा।
छोड़ो न बड़ी दर्द होता है तुम्हारे झूठ से,
मैं कितना भोला मोहबत समझता था हठ से।
अब बस थक गया हूं सम्भालते ये बंधन,
जहाँ होता नही दो दिलो का संगम।
चलो अपने अपने रास्ते चुनते है,
एक दूसरे को छोड़ अपने दिल की सुनते है।-
वो 90 का भी क्या दौर था,
मेले,खोमचे, ठेले पर शोर था।
वो गीता,महाभारत का ज्ञान,
और रामायण के श्री राम।
बैठते टीवी के आगे कर सब काम,
तभी मनमोहि जूनियर जी,
और आता था शक्तिमान।
जब जलेबी सस्ते में आती थी,
रंगते थे चूरन से लाल जुबान।
लुका छिपी, पत्थर पानी,
चोर सिपाही था अपना काम,
थक जाते थे जब हम,
रसना पीकर करते थे आराम।
ना चिंता मोबाइल, न चार्जर का था कोई काम।
न रिचार्ज का चक्कर,न डेटा का तामझाम।
वो भी क्या समय था बाबूजी के आने का था इंतज़ार,
उनके आगे पीछे घूमते कुछ पाने को जैसे कोई समझदार।
बदल गयी ये दुनियाँ बदल गया संसार,
न भूली तो यादें, न भुला 90 का प्यार।-
#मेरा भोला मेरा सहारा,
जब जब मैं थका हारा,
मेरा भोला मेरा सहारा।
बचपन से साथ मेरे वो,
बचपन से था पास मेरे वो।
कभी माँ की ममता बन,
कभी पिता की छमता बन।
वो रहा खड़ा हर मुशीबत पर,
वो मेरा भोला है हक़ीक़त पर।
निस्वार्थ प्रेम उसने किया,
बिन माँगे सब दे दिया।
धोखा छल से उसने बचाया,
सही,सटीक मार्ग उसने दिखाया।
जब जब ये आँखे सावन भादो हुयी,
तब तब उसने गले लगाया।
मेरा भोला बड़ा ही भोला है,
प्रेम में हृदय ने पिता उसे बोला है।
जब जब मैं थका हारा,
मेरा भोला मेरा सहारा।-