Pradeep Singh Lunawat   (कुँ प्रदीप सिंह लुणावत)
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Joined 1 March 2020


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Joined 1 March 2020
23 JUL 2023 AT 7:38

वक्त बुरा है इसलिए ख़ामोश रहते है,
अपने ही सवालों के जवाब में रहते है,

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2 MAY 2023 AT 20:26

कशिश तुम्हारी नजरों की दूर जाने नहीं देती,
और तुम कहते हो कुछ देर और ठहर जाओ,

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25 APR 2023 AT 22:12

कुछ यारों को परखा मैंने
कुछ मेरी यारी परख गए
कुछ गलतियों पे नाराज़ ना हुए,
कुछ बिना कहे ही चले गए,
कुछ जान छिड़कते थे मुझपर ,
कुछ आयी मुसीबत सरक गए,
कुछ मुझसे बिछड़कर ख़ुश थे
कुछ देखने को भी तरस गए,

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15 APR 2023 AT 10:04

अब वज़ह की जरुरत नहीं है हमें,
लड़के है इतनी ही वज़ह काफ़ी है,
कभी हालात कभी किस्मत को कोसकर,
हम अपने ही हाथों मुँह छुपाकर रो दिए,

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11 APR 2023 AT 23:59

अब नींद पूरी नही होती है
ऐ रात थोड़ा और हमें सोने दे,

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25 MAR 2023 AT 1:21

बेवज़ह ख़ामोश है जिक्र कर सकते नहीं,
लड़के है जी आसानी से भूल सकते नहीं,

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10 MAR 2023 AT 22:03

भीगा काग़ज़ सा हु तेरी टूटी क़लम की बहती स्याही से,
तेरा यूँ भिगाकर जाना आसान था मगर
मेरा तुझको सोखकर जीना मुश्किल हो रहा है
निशां बाकी रहा सिर्फ़ तेरा, मेरा अब कुछ मेरा ना रहा,

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7 MAR 2023 AT 12:32

अपने ही रंग से रंगना तुम मुझे,
फितरती रंग नहीं चढ़ता है मुझे,

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6 MAR 2023 AT 7:03

झूठ बोलने लगा हूँ
मजबूर हु धोखेबाज नहीं हूँ,
बस ठीक हु कहकर,
मुस्कुरा रहा हु ख़ुश नहीं हूँ,

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4 APR 2022 AT 0:22

जिनका बातों में रहता था फ़साना,
उनसे गुफ्तगू किए गुजरा जमाना,

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