Pradeep Shinde  
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Joined 19 February 2019


Joined 19 February 2019
6 FEB 2022 AT 12:03

हम अपनी सल्तनत के शहंशाह है
अकसर लोग आईना समझकर
अपनी औकात देखते है— % &

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30 JUN 2021 AT 19:08

हम मोहरोंको वजीर बनाने का
शौक रखते है

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16 JUN 2021 AT 9:27

यह हमारी मेहनत का
पसिना है साहब,
आपको जलन तो होगी ही..

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11 JAN 2021 AT 12:39

अकेला
अकेले से ही ऊपजा था
अकेले ही समा लुंगा जहाँ..
हूँ अकेला तो मुझसे ही है बारीश
एक बुंद ना हो तो कैसा समंदर..
हूँ मैं तो मुझसे ही यह समाँ
ना रहा मै तो क्या आसमाँ..
मेरी एक साँस से ही है जिंदा
हूँ मै तो है यह सारा जहाँ..
मैं नही
मुझसे है जमाना अकेला
खुदमें ही समेट लेता हूँ
फिरसे बसाता हूँ अकेला..

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11 JAN 2021 AT 10:19

रहिमन धागा प्रेमका
मत तोड़ो चटकाय टूटे से फिर ना मिले
मिले गांठ पड़ जाए।




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24 AUG 2020 AT 20:58

ऊसने क्या लाज रखी
मेरी गुमराही की
के में भटक कर भटकू
तो भी ऊसी तक पहुँचू..










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22 AUG 2020 AT 22:26

सबकुछ
मेरा ही है
तो हक क्यूं
जताऊ

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10 AUG 2020 AT 14:03

चंद खामोश खयाल
और तेरी बातें,
खुद से गुफ्तगू में
गुज़र जाती हैं रातें..

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2 AUG 2020 AT 17:53

तुम्हे आदत है भुल जाने की
हमे तो आदत है तुम्हारी
तुम्हे आदत है रुठ जाने की
हमे तो आदत है तुम्हारी
तुम्हे आदत है इतराने की
हमे तो आदत है तुम्हारी
तुम्हे आदत है छेडने की
हमे तो आदत है तुम्हारी
तुम्हे आदत है हक जताने की
हमे तो आदत है तुम्हारी
तुम्हे आदत है हमारी
हमे तो आदत है तुम्हारी

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2 AUG 2020 AT 17:18

वो चाहे कितना भी रूठें
आँखो के रास्ते
चोरी छिपे
खयालोंमें
आ ही जाता है..

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