बेशक मेरे शब्द मुस्कुरा रहे हैं, पर भीगी हुई मेरी सारी किताब है।
मौसम जरा खराब है आजकल नसीब का, हवाएं नौका के मेरी सारी ख़िलाफ़ है।।
कलम मेरी, अल्फ़ाज़ मेरे, जज़्बात भी मेरे है।
पर कहानी में मेरी किस्से तेरे बेहिसाब है।।
बेशक मेरे शब्द मुस्कुरा रहे हैं, पर भीगी हुई मेरी सारी किताब है।
आंसुओं से भरा है मैंने ये छलकता हुआ प्याला मेरे दर्द का है।
छिपे है कई वादे कस्मे इस प्याले में तेरे, लगती दुनिया को जो ये शराब है।।
बेशक मेरे शब्द मुस्कुरा रहे हैं, पर भीगी हुई मेरी सारी किताब है।।
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