जब इंसान करवट लेता है तो दिशा बदल जाती है
जब कर्म करवट लेता है, तो भाग्य बदल जाता है
जब निर्णय करवट लेता है, तो जीवन बदल जाता है।
जब संघर्ष करवट लेता है, तो सफलता बदल जाती है।
जब सच्चाई करवट लेती है, तो परिवर्तन बदल जाता है।
जब विचार करवट लेते हैं तो दृष्टि बदल जाती है।
और जब वक्त करवट लेता है तो दशा बदल जाती है-
अधर्म को मूक बन कर जो मात्र निहारे जाते हैं,
वे अपनी संज्ञानशक्ति का नाश कर देते हैं।
परिणामस्वरूप वे अपने आपको अंधकार में तल्लीन पाते हैं
और न्याय और सत्य को अंधविश्वास मानते है
धर्म की शक्ति से वंचित रहकर वे स्वयं को
आवश्यक ज्ञान और विवेक से वंचित कर देते हैं।
और समाज में अधर्म की प्रभावशाली उपस्थिति को बढ़ाते हैं।-
ख्वाबों की दीवार भरे बाज़ार टूटी देखी,
हकीकत की आँधियों से सपनों को चूर होते देखा,
ज़िंदगी के मोर्चों पर उलझे हुए किस्से देखे,
आशाओं के रास्तों पर टूटे ख्वाब देखे।
पर फिर भी
हर एक हार से बढ़कर जीने की आदत सीखी,
ख्वाबों की दीवारों को फिर से सजाने की चाहत सीखी।
टूटे हुए ख़्वाबों को मैंने इकट्ठा किया,
नए सपनों की राहों में दिल लगाने की जनुनियत सीखी
खाबों की दीवारों को जोड़ते-जोड़ते मैं चला रहा,
हर कठिनाई और चुनौती को हंसते हुए पार करने की कला सीखी।
-
थोड़ा डूबूंगा मगर फिर मैं तैर जाऊंगा,
जीवन की लहरों में भी मैं खड़ा हो जाऊंगा।
हार नहीं मानूंगा, जीत को हासिल कर जाऊंगा।
मुश्किलों के साथ मैं खुद को साबित कर जाऊंगा।
अपने सपनों को पूरा करने का इरादा रखूंगा,
कठिनाइयों को दरकिनार कर जाऊंगा।
हर एक संघर्ष में मैं नयी शक्ति पाऊंगा,
हर टूटे हुए सपने को फिर से जी जाऊंगा।
उठूंगा हर बार जब जिंदगी मुझे गिराएगी,
अपनी हिम्मत से उठकर आगे बढ़ जाऊंगा।-
इस दौर के इंसानों में वफ़ा ढूंढ रहे हो, जहाँ अहमियत ट्रेंडिंग टॉपिक्स की है,
जहाँ रिश्तों को आपसी लाइक्स और कमेंट्स के द्वारा मापा जाता है।
इस दौर के इंसानों में वफ़ा ढूंढ रहे हो, जहाँ सोशल मीडिया की पोस्टों पर लाइक और शेयर की परवाह सच्ची ज़िन्दगी से ज़्यादा होती है।
इस दौर के इंसानों में वफ़ा ढूंढ रहे हो, जहाँ एक 'फ़ॉलो' बटन सच्ची दिल से निभाई गई कठिनाइयों की तुलना में आसानी से दबा जाता है।-
अकेला ही बहुत हूं, कई लाखों के बराबर,
ज़िंदगी की महानता में खुद को बयां करता हूं।
दृढ़ता से करता हूं मैं सामरिक सफर,
खेलता हूं संघर्षों से, विजय की ओर बढ़ता हूं
जब अँधकार छाती को आवेश में लपेटता है,
मैं उजियाले के आंचल को प्रगट करता हूं।
अकेला ही बहुत हूं, और आगे बढ़ता हूं
जब सब हार मानते हैं, मैं आगे बढ़ता हूं,
क्षितिज को छूने का वचन पूरा करता हूं।-
मुझको मोल न हज़ारों का, इक बात से है गुज़ारा मेरा
मायने नहीं हैं दौलत के, ईमानदारी से जीना प्यारा मुझे
क्योंकि सच्चाई यह है, ज़िंदगी का असली मोल है
डर है खो न दूं इस दौर को, दौलत के झूठ में
हर कठिनाई से उभरकर, अपनी ताकत को साबित कर रहा हूं
हर लम्हे को अपने दिल में बसा कर, अपनी ज़िंदगी का अर्थ प्रकाश कर रहा हूं
जीवन के सभी रंगों को स्वीकार कर, अपनी खुशियों का संगीत उसमे भर रहा हूं
-
बहुत कुछ है जो कहना चाहता हूं आपसे पापा
लेकिन शब्दों की कमी है,
और समझ नहीं आ रहा है
कि कहाँ से शुरू करूँ।
आपसे जो कहना चाहता हूं,
उसे अपने दिल में ही रखकर
आपके आँगन में खड़ा हुआ था।
लेकिन आज जब आपके सामने खड़ा हूं,
तो वो सारे शब्द भूलकर सिर्फ
आपको देखना चाहता हूं।
आपने मुझे जीवन दिया है
और मैं आपके लिए कुछ भी कर सकता हूं।
मैं आपको बहुत प्यार करता हूं पापा।
आपका स्नेह, आपकी संवेदना, आपका निष्ठा और आपका आशीर्वाद
हमेशा मेरे साथ है। मैं आपके लिए हमेशा एक सम्मानित बेटा बनना चाहता हूं।-
याद आती रहेगी तुम्हें रुला देने वाली वो बातें, वो जुदाई का गम और वो तनहाई की रातें। जो तुम्हारी हँसी में शामिल थीं, जो तुम्हारी ख़ुशियों के संग आईं जब भी याद करूंगा, तो दुःख तो होगा ही पर ख़ुशी भी होगी, क्योंकि उन अनमोल लम्हों की याद मुझे हमेशा एक नया उजाला देगी और मुझे सबकुछ भूला देगी। वो मुस्कुराहटें, वो पल जब साथ बिताये थे हमने, वो अपनों की मुहब्बत और अहमियत सब कुछ याद दिलाकर सिर्फ खुशी देगी। और जो दर्द भी होगा उसे मेरी ताकत बनाकर मुझे आगे बढ़ने की हिम्मत देगी। क्योंकि मुझे हमेशा याद रहेगा कि जीवन में दुख और सुख दोनों ही होते हैं और जीवन बिना दुख के अधूरा होता है।
-
नवमी तिथि मधुमास पुनीता,
शुक्ल पक्ष अभिजीत नव प्रीता
मध्य दिवस अति शीत न घामा,
पवन काल लोक विश्रामा।
शीतल मंद सुरभि वह बाऊ
हरषित सुर संतन मन चाऊ
बन कुसुमित गिरिगन मनिआरा
स्रवहिं सकल सरिताऽमृतधारा ।
सो अवसर बिरंचि जब जाना
चले सकल सुर साजि बिमाना
गगन बिमल संकुल सुर जूथा
गावहिं गुन गंधर्व ब्रूथा
बरषहिं सुमन सुअंजुलि साजी
गहगहि गगन दुंदुभी बाजी ॥
अस्तुति करहिं नाग मुनि देवा
बहुबिधि लावहिं निज निज सेवा
हाथ जोड़कर अनुग्रह करे, धनुष उठा करे संहार,
सबसे प्रिय अयोध्या नगरी,जहां प्रभु ने लिया अवतार
जय राम नवमी 2023-