फूल लगे पौधे पे तो हर भंवरा मंडराता है
जो साख से अलग है वो मेरी कश्ती का सवारी है
बसंत का मौसम तो भाता है सभी को
अपनी तो पतझड़ के मौसम से यारी है
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बड़ी तेजी से बदल रही हैं तुम्हारी जरूरतें
बातों में भी अपनेपन का भार नहीं लगता
तुम आते तो हो मिलने मुझसे हर बार
पर दरिया अब साहिल का यार नहीं लगता-
लाईलाज थी फिर भी ईलाज करवाया
कई हकीम बदले पर एक भी काम न आया
कई कमीनों से तालुकात भी बढ़ाए अपने
फिर भी मैं यह शराफ़त छोड़ न पाया-
मेरी हर जिद पर डांट देते हैं
यह आखिरी है कहकर हर जिद पूरी करते हैं
मेरी ख्वाहिश पूरी करने में अपने सपनों को बेच दिया
खुद प्यासे रहकर भी मेरे जीवन को सींच दिया
सख्त लफ़्ज़ और तल्ख मिजाज यह सब नजरों का धोखा है
गिरने पर be strong कहने वाले पापा को
मैंने छुप छुप कर रोते देखा है
उज्जवल भविष्य बनाने को मेरा
दूर देश जाकर जाने कैसे जिंदगी बिताई है
धन्यवाद प्रभु आपका जो होली और दिवाली मनाई है
तू मेरे घर का सबसे नालायक नादान है
वही पापा छुप कर कहते हैं बेटा मेरा अभिमान है
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लोकतंत्र में अब ऐसी है जिंदगी
चुनी हुई सरकार पर राजा जैसी बंदगी
थोपे गए प्रतिनिधि चुनना है मजबूरी
मंहगा पेट्रोल और राशन लेना है जरूरी
3 तलाक की तरह अलग है अब रास्ता
5 साल तक अब नहीं है कोई वास्ता
अच्छे दिन की तलाश अभी जारी है
अगला चुनाव लड़ने की करनी तैयारी है
पाकिस्तान की मंहगाई यहां चर्चा का विषय है
प्राइम टाइम में सास बहू और साजिश का समय है
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आया था एक वबा का सैलाब
हर तरफ मची थी चीख पुकार
इंसानी फ़ितरत है जनाब
सब भूल जाता है हर बार
गांव शहर जब सब थे सुनसान
एक-2 सांस पे अटकी थी जान
इंसानी फ़ितरत का देखो कमाल
जान बचाने वालों को बता दिया हैवान
आपदा में कर रहे अवसर निर्माण
पासे फेंक रहे थे शकुनी अपार
इंसानी फ़ितरत का देखो हिसाब
करने लगे लोग अपनों का शिकार
निकले हैं करने वादियों का दीदार
मांओं की अभी रुकी नहीं है अश्रुधार
लोगों का फिर होगा यही जबाव
सिर्फ एक सवाल तुमने क्या किया सरकार
-Pavan
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उम्र छोटी है पर पड़ाव कई देखे हैं
दुश्मन बेहिसाब और दोस्त लाज़वाब कई देखे हैं
तुमने देखी है हर शाम बंद होती दुकानें
हमने नीलाम होते बाजार कई देखे हैं-
तमन्ना थी तुम्हारे साथ जिंदगी निभाने की
पर सभी हसरतें कहाँ पूरी होती हैं
तुम्हें जाना है तो जाओ यार,
हम जानते हैं मुकम्मल इश्क़ की निशानी में
कुछ ख्वाहिशें अधूरी होती हैं
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कई बार ख्वाब टूटे हैं मेरे
पर हौसला पस्त होने नहीं दिया
दीये भी बुझाये लोगों ने रास्ते से मेरे
पर उम्मीदों का सूरज अस्त होने नहीं दिया
अंगारे बिछाए गये राहों में और
जुगनुओं ने टिमटिमाना छोड़ दिया
मशाल जलाये रखा आंखों में अपने
रास्ता न मिला तो दरिया को मोड़ दिया
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वक्त नहीं है किसी के पास
फिर भी वक्त की कीमत नहीं जानते
और किस किस को आईना दिखाओगे यार
अब तो लोग अपने दस्तख़त तक नहीं पहचानते-