मैं अपनी तकलीफें खुद ही पाल लेता हूँ,
जब मैं किसी व्यक्ति को अपना सहारा मन लेता हूँ!-
Pradeep Kumar
(Praदीप)
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Joined 13 April 2021
9 MAY 2022 AT 11:00
14 MAR 2022 AT 8:05
मैं जीवन की अपेक्षाओं से ऊपर जा चुका था,
तब एक शख्स का आना हुआ...!— % &-
10 JAN 2022 AT 13:41
"इस खयाल में पूरी जिंदगी गुजार देना
कि वह एक दिन तो वापस आयेगा...!"
दुनिया के सबसे 'मुर्ख विद्वान' की कहानी बयां करता है।-
10 JAN 2022 AT 13:23
अब ये अकेलापन नहीं ख़लता,
ख़लती है तो बस यह लोगों के द्वारा अत्यधिक सहानुभूति!-
26 DEC 2021 AT 10:44
कभी यह भीड़ अकेली है,
कभी इस भीड़ में तुम...
पर तुम अकेले नही हो!-
22 NOV 2021 AT 12:13
कभी तो आओगे तुम भी,
इस क्षणभंगुर पानी तल में।
जहाँ बदलते देखा मैंने,
पिघले को तीखे कण में...!-
22 OCT 2021 AT 20:06
कभी तुम जान सको तो जानोगे अपनी कीमत ठीक वैसी,
जैसी लोहे के तराजू में तौली गई एक पुरानी सुई I-
6 OCT 2021 AT 12:37
वह सोचता है निकाल दे सब मलाल इक दफ़ा,
पर अंत तक
"सब ठीक है" पर कहानी समाप्त हो जाती है!-
7 SEP 2021 AT 10:44
तुम जितने भी खास हो,
अफ़वाहों की बिसात हो।
अनंत ख्वाब में मिले हुए,
बस चंद लबों की बात हो।-