इंसान बहुत आसान समझते है,
खुला आसमान और बेपरवाह उड़ान को वो उनकी आजादी मानते है,
क्या उनके संघर्षों से दो चार हुआ है, कभी कोई,
यही इंसान अपने स्वार्थ के लिए उनके पंख काट देते है,
उन्हे मरते दम तक एक पिंजरे में डाल देते है,
हम इंसान भले ही उड़ नही सकते, लेकिन अपने साथ हुए अत्याचार को बोल तो सकते है,
परिंदों की तरह रहना है अगर तो, अपनी जुबान को सीना होगा तुम्हे,
फिर किसी शिकारी इंसान का शिकार बनने के लिए, तैयार रहना होगा तुम्हे,
मौसम की मार को झेलते हुए अपने आपको बचाना होगा तुम्हे,
हमे बहुत आसान लगती है दूसरों की जिंदगी, हमेशा ही,
लेकिन......
हर किसी की कहानी का सार अलग ही हो होता है।
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