माँ मुझे बाहों में भर ले बहुत परेशान हूँ मैं,
माना कि बड़ी हो गई हूँ,फिर भी नादान हूँ मैं।
हर बार लोगों ने छला है मुझे अपना बनाकर,
हर बार बुलाया मुझे पास अपना दर्द सुनाकर।
क्या करूँ बातों में आ ही जाती हूँ मैं सभी के,
छल,कपट और प्रपंच से अबतक अनजान हूँ मैं।
माँ मुझे बाहों में..
थक गई हूँ मैं माँ मुझे भी अपने पास बुला ले,
एक बार फिर से मुझे अपनी गोदी में सुला ले।
नहीं समझना मुझे दुनियाँ के ढोंग-ए-रिवाज़,
लोगों के दो मुँहे चेहरे से माँ बहुत हैरान हूँ मैं।
माँ मुझे बाहों में.....
- स्वर्ण✍️
18 FEB 2019 AT 15:05