Prachi Saroj   (S. Prachi)
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Joined 7 April 2022


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30 MAY AT 21:42

में खुब रोकर खुद को संवारने का हुनर रखतीं हुं

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27 APR AT 21:27

जरुरी नहीं दो दिलों के बिच ही हो।
मोहब्बत तो हमे है मानवता से।
हर उस शख्स से जिसमें करुणा और
मानवता है भावनाएं हैं।

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26 APR AT 21:15

सूना है वक्त के साथ ज़ख्म भर जातें हैं।
किन्तु जब ज़ख्म देने वाला कोई अपना हो ।
तो वक्त के साथ ज़ख्म गहरा होता हैं।

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27 MAR AT 22:37

ज़िन्दगी के दौड़ में सबकुछ जीत कर
भी एक दिन हार ही जाना है

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22 MAR AT 19:51

माना की जीवन है नहीं आसान
दिल में है बहुत ज़ख्म गहरा
मरहम लगाने वाली मां का
क्या कम है पहरा?

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22 MAR AT 14:45

गर आज बड़ा ग़म है
तो कल वो कम होगा
कम ना हुआ गर ग़म जो
तो उसका यूं साथ रहना
क्या कम होगा..?

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21 MAR AT 22:42

इसके बहाव को रोक पाना असंभव है
संभव है तो बस उसके साथ लगातार बहते जाना ।

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21 MAR AT 13:43

परिचित हूं कि कोई साथ नहीं अब
तसल्ली के लिए मान लिया बस तन्हा नहीं हूं

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20 MAR AT 21:06

किरण साथ लाती है
हर रात साथ अपने एक
दास्तां लिए जातीं हैं

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19 MAR AT 9:14

ज़िन्दगी ने अपने ऐसे
पहलू दिखायें की
ना रोना संभव है ना सोना
चुप हो जाना असंभव है
बोल पाना दुष्कर है
नष्ट हो जाना असंभव है
अस्तित्व रखना श्वास रोध है।


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