क्या पूछा तुमने, उस पेड़ को काटने से पहले
क्या सोचा तुमने उस जंगल के घटने से पहले
आज दुनिया बात करती है इजाज़त की
तो क्या ली थी इजाज़त तुमने उस पेड़ से...
उसकी टहनी जलाने से पहले
उसकी लकड़ी काटने से पहले
यौवन में तुमने उसकी खूबसूरती को था निखारा
अपने परम पर था जब तुमने था उसे सवाँरा
फिर क्या हुआ अचानक की वो खटकने लगा तुम्हे
घर के उस दरवाजे के लिए जचने लगा तुम्हे।
कभी पूजते हो, कभी भूल जाते हो
छांव तले बैठने को भी मुझे ही काट कुर्सी बनाते हो
बूढ़ा हो जाऊ तो कोई हर्ज नहीं
सफर मेरा भी बहुत लंबा तो नहीं.- PanchTatwa Girl
5 JUN 2020 AT 10:20