रास्ते में जाते वक्त हिंदी मिली थी !
जाने क्यों मैं उसके साथ हो लिया !!
अब प्रेम मेरी मंजिल है !-
मैं अपनी शराब को दवा तरह पीता हूँ !!
क्या कहा!
बहुत ठंड है शहर में ?
हां!! तुम्हारे खत आने तक
ठंड रहेगी!-
•I Too Love You Pitaji•
रमन जब भी पिताजी के जूते को गंदा देखता जा कर उसमें पोलिश कर देता , पिताजी जब भी उंसे पोलिश करता देखते उसी जूते से मारतें हुए कहते " यहीँ करेगा बड़ा हो के , इसिलए जूते गंदे हुए है मेरे " ,
वो रोते हुए माँ के पास चला जाता और रोते रोते सो जाता ...!
कुछ देर बाद पिताजी आते , उन्हें उसमे प्रेम आता , वो उसके नन्हे पैरों को दबाते और कहते " देखो तो विमला कही ज़्यादा जोर से तो नहीँ मार दिया है ना मैंने , क्या करूँ विमला मैं नहीँ चाहता कि ये जूते पोलिश करें , इसे तो बड़ा बनना है " और बिना आंख में आंसू लाये वहाँ से चले जाते !
माँ जब पूछती की वो ऐसा क्यों करता है तो वो कहता " माँ , मैं क्या करूँ मुझसे पिताजी के गंदे जूते नहीँ देखे जाते !
~ वो दोनो चाहते है दोनों को एक ही तरह , बस जताना नहीँ चाहते ~
#FathersDay
--
• पहली चिट्टी •
उसने टेलीविज़न खोला तो देखा की न्यूज़ में एक सैनिक शहीद हो गया है, जिसका नाम गुरुखेम सिंह है ,
तत्काल उसने अपने पति की दी पहली चिट्टी खोली , उंसे प्रणाम करते हुए मुस्कुराई और उस चिट्टी में लिखे आख़िरी लफ़्ज़ की तरफ नज़रे मिलाते हुए बोल पड़ी ..
"मैंने भी अपनी कसम पूरी की गुरुखेम, जा अब तो तेरी आत्मा को शांति मिलेगी न "इतना कह उसने अपने आँखो को चिट्ठी के ऊपरी छोर की ओर मोड़ लिया,
जहाँ टेढ़े मेढे हैंडराइटिंग में लिखा था,
" लित्तू , मेरी ड्यूटी कुछ ऐसी है जिसमे , मेरा शरीर क़भी भी आपका साथ छोड़ सकता है , ऐसे में तू मुझसे वादा कर , तू मेरे शरीर के जाने का गम नही मनायेगी , बल्की मुस्कुराएगी क्योंकि उसी पल मैं हर जगह से आज़ाद हो सिर्फ तेरा हो जाऊँगा , तेरे ऐसा करने से मेरी आत्मा को शांति मिलेगी , तुझे मुझ पे गर्व होगा और मुझे तुझ पे , कसम है तुझे मेरी "
~ चिट्टी पूरी तरह भीग चुकी थी , पर आँसू नहीँ आये थे ,वो रो बिल्कुल नहीँ रही थी ~
#लप्रेक #शहीद #नमन
-
प्यार किया है मैंने , देखो खुश हो तुम ,
तुमने भी किया होता , तो मैं भी खुश होता..-
I Love You ...He Said
But I don't.. She replied
"I know .." he mumbled..
//They know word's didn't speak when heart does..//-
हूं अकेला पर हारा नहीं हूं मैं,
मजबूर हो पर मारा नही हू मै,
एक इशारा कर के देखो तुम,
खामोश हू पर बेसहारा नही हू मै,
ये दरिया कहे जमीं से कभी,
देख मुझे तेरी तरह प्यासा नहीं हू मैं,
वक्त बदल जायेगा बस करवट लेने दे,
जबान कड़वा है दिल का खारा नहीं हू मैं,
लाखो जन्म लेंगे पर तेरी तरह न होगा तीफ्ल,
मेरी मां का ममता हू, मोहब्बत का आवारा हू मै !!!
-
Message Flooded With Father's Days !!
~a father aged 76 waiting for his son for 8 years at the so called "Old Is Gold " cottage !!
-
वो सुभाष थे..
जिसकी रगों खून नही ज्वाला दौड़ती थी,
जिसे सपने में नौकरी नही आज़ादी दिखती थी,
जिसे जिंदगी नही तिरंगा प्यारा था,
जो आसमाँ से ज़्यादा मिट्टी का दीवाना था,
जिसने आज़ादी के लिए छोड़ी अपनी धरती थीं,
जिसकी दीवानी अनजाने मुल्क की एमिली थीं,
जो देश के खातिर कुछ भी करने को आतुर थे,
जो आज़ादी के सबसे धमकते परवाने थे,
जिन्होंने सबसे पहले आज़ाद हिंद फौज बनवायी थी,
आज़ादी के बदले खून की मांग उढाई थी,
जिनकी बोलीें से प्रभावित हो लष्मी चली आयी थी,
महिलाये भी है वीरांगना ये बात उन्होंने दिखलाई थी,
जिसने सबसे पहले "जय हिंद" की लौ जगाई थीं,
वो सुभाष ही थे जिन्होंने नेताजी बनके भारत में फौजी क्रांति फैलाई थी...
इनके जनम दिवस पर इनको सत सत नमन..
"सुभाष चंद बोस"
-प्रभु प्रभात
जय हिन्द
-