अखिल भारतीय रेगर महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष
सेवानिवृत आईएएस अधिकारी बी एल नवल
साहब को जन्म दिवसकी हार्दिक शुभकामनाएं।
मुबारक हो जन्मदिन श्री बी एल नवल को।
सरल सौम्य सुगंधित कमल को।।
समाज की आन बान शान रक्षक को।
मृदु भाषी कर्तव्य परायण सज्जन को।।
जीरो से हीरो तक पहुंचे परिश्रमी को।
शुद्ध भाव अपक्षपात पूजा कर्मी को।।
रेगर समाज में जन्मे अनमोल रतन को।
समाज हित त्यागी रेगर गौरव को।।
गौरवान्वित किया आपने अपने पद को।
नई दिशा दी हमारे युवा को ।।
बहुजन नायक भीम भगत को।
करुणा शील बुद्ध आसक्त को ।।
अग्रसर रहकर छुएं बुलंदी को।
महकाते रहे आप इस चमन को।।
परमात्मा रास्ता दिखाए आपकी और खुशियों को।
आशीर्वाद मिलता रहे ऐसे ही प्रभु को।।
कवि लेखक शिक्षक मंच संचालक
प्रभु दयाल रैगर पूर्व अध्यक्ष अखिल भारतीय रैगर
महासभा दूदू जयपुर-
सत्यवादी, वचन पुरुष, धर्म रक्षक, तेजाजी।
गौ भक्त, नारी रक्षक, पापी के दुश्मन, तेजाजी।।
ताहड़ पिता, मात रामकंवरी,राजल बहना प्यारी।
अस्त्र भाला, पत्नी पैमल, लिलन घोड़ी असवारी।।
शिवजी के अवतार ग्यारहवें,लोकदेवता तेजाजी।
समाज सुधारक नायक, छुवाछूत विरोधी तेजाजी।।
विक्रम संवत ग्यारह सो तीस, माघ सुदी चौदस गुरुवार।
नागौर जिला खरनाल तेजाजी, आय लियो अवतार।।
नागदेवता का आशीर्वाद मिला, आभा अनोखी तेज ।
देख चमक ललाट की,नाम धरिया वीर तेजा तेज।।
बालपन में ब्याव हुयो संग, पेमल गांव पनेर के माय।
भाभी का सुन ताना तेजो, अपनी गौरी लेवन जाय।।
जलतो देख्यो नाग कालिया,तेजो लियो बचाय।
मोक्ष होवतो म्हारो तेजा, क्रोध अति भर जाय।।
तू म्हारो अपराधी तेजा, में तुझे डसुंगा आज।
जहर म्हारो अति भयानक,खायों न मांगे नाज।।
लाछा गुजरी गाय छुड़ाऊं,वापस बांबी आऊं।
सत्यवादी वीर में तेजा, फ़र्ज़ जरा निभाऊं ।।
घायल हो गए युद्ध भूमि में, लेकिन गाये छुड़ाई।
चोटिल घायल लहूलुहान, लियो जी पुण्य कमाई।।
सत्यवादी जाट वीर तेजाजी, लौटकर बांबी आए।
लो डसलो है नाग देवता, देकर आवाज जगाए।।
— % &सारा तन है लहूलुहान, तेजा, कोई जगह ना खाली।
भाले चढ़ आ जाओ ऊपर, जीभ डसो यह खाली।।
धन्य भूमि धन्य तेजा, धन्य थारा मायर बाप।
घर घर पूजा होवसी, वचन निभायो आप ।।
भादवा शुक्ल दशमी, संवत ग्यारह सो साठ।
सर्प देवता काल कियो,देवा दुनिया नाले बाट।।
काला को खायोडो तेजा, गयो स्वर्ग सिधार।
दुनिया जय जयकार करे, सती संग पेमल नार।।
सुरसुरा अजमेर जिला, तहसील किशनगढ़ धाम।
लाखों आवे है यात्री, लेकर तेजा थारो नाम।।
ढोलक मजीरा चंग अलगोजा, मीठा भजन सुनावे।
दुखिया ने सुखिया करे , बिगड़या काम बनावे।।
धोलिया गोत्र जाट जाति,भारत में कमायो नाम।
प्रभुदयाल सत्पुरुष तेजाजी, श्रद्धा संग प्रणाम।।
कवि लेखक शिक्षक मंच संचालक प्रभु दयाल रेगर
हरसोली दूदू जयपुर राजस्था— % &-
जन्म दिवस मुबारक गृह लक्ष्मी,दो सितंबर आया है।
पांच बहन भाई में सबसे छोटी,रूपवती नाम बताया है।।
गौर वर्ण सुंदर सुशील,साफ सफाई की फितरत है।
घर बच्चों को सजा रखने में,मिली हुई महारत है।।
दो सितंबर उन्नीस सौ इक्यासी,गुरुवार भादो कृष्ण तीज।
संतोष नगर हसनपुरा जयपुर,यह सुंदर उगा था बीज।
फिर बीस अप्रैल दो हजार, वार था गुरुवार/
मेले का माहौल था, हर्षित था परिवार //
बीस अप्रैल के दिन हमारे, सर पर सजा था सेहरा/
दो से हम एक हुए, आया नया सवेरा //
हरसोली से चढ़कर बारात, मांग्यावास को आई/
खूब हुआ था नाच गान, जमकर बजी शहनाई//
दो दिल दो परिवार मिले, रिश्तो की बन गई माला/
प्रभु लाल जी ससुर हमारे सुरेंद्र बृजमोहन साला//
सातों वचन निभाने की, हमने कसमें खाई/
रूपवती सुंदर सुशील , पत्नी बन कर आई//
साल चौबीसवां आया भयंकर,बनकर आफत भारी।
आंखों वाले रोग ने यारों, खुशियां छीन ली सारी।।
अब भी हम लड़ रहे हैं,इस समस्या के साथ में।
एक दिन नहीं रहने देता, इलाज होता मेरे हाथ में।।
आश हे विश्वास हे, सब सही हो यह अरदास है।
महत्वपूर्ण सारे रिश्ते,पर पत्नी इनमें खाश हे।।
उतार चढ़ाव हंसी खुशी में, बीते साल पच्चीस/
हौसला बढ़ता रहे प्रभु का, सबकी मिले आशीष//-
अबकी घोर गजब को होग्यो रे।
च्यारूं ही दिशा में पाणी पाणी होग्यो रे।।
नंदी नाळा बेवे जोर का, सड़का सारी टूटी।
तळाव नाडा भ्रया लबालब, डोळ्या सबकी फुटी।।
आणो जाणो भी बंद होग्यो रे।।1।।
चारू ही दिशा में..................
कच्चा पक्का मकान टुटग्या, डांडा हो रिया घायल।
सड़कां उपर बेतो पाणी,ज्यूं पगा में पेनी पायल ।।
इन्द्र देव कड जा सोग्यो रे ।।2।।
चारु ही दिशा में पाणी...................
छोरा छोरी घर में दुबक्या, स्कूला होगी बंद।
काम धंधो रोजगार भी, सबको होग्यौ मंद ।।
खरचो चलनो मुश्किल होग्यों रे।।3।।
चारु ही दिशा में पाणी पाणी....
प्रशाशन हाथ पांव फुलग्या, किण किण जार संभाला।
आ कांई आफ़त आयी राम जी, सारा टुटगा नाळां ।।
ओ भादो बन्यासी को लाग्यो रे।।4।।
चारु ही दिषा में पाणी पाणी..........
बड़का भी केरिया छ अतरो पाणी कोनी देख्या।
प्रभु दयाल धरती में पाणी,खेत ख़ला नी मेख्या ।।
काळ धान चारा को होग्यो रे।।5।।
चारुं ही दशा में पाणी पाणी.......-
निवासपुरा के लाल ने, कर दिया कमाल।
भारत राजस्थान में, मचा दिया धमाल ।।
धन्य जननी धन्य पिता,धन्य आपका ग्राम।
धन्य गुरु परिवार जन,धन्य प्रेम जी नाम।।
झाग दूदू जयपुर जिला,श्री निवास पुरा स्थान।
अगस्त इकतीस साल उन्हतर, जन्मा नूतन भान।।
शाहरू देवी रामचंद्र जी, मात पिता देवरूप।
नारायणी देवी गृह लक्ष्मी,जो देवी का स्वरूप।।
एक पुत्र तीन पुत्रियां,भरा पूरा परिवार।
हंसता मुस्कुराता सुंदर चेहरा, जनता को स्वीकार।।
दूदू से दो बार विधायक,उप मुख्यमंत्री पद शोभित किया।
काम व्यवहार जीवन शैली से,सबको अति प्रभावित किया।।
साफ स्वच्छ बेदाग छवि,शांति के प्रतीक है।
सारी जनता को लगता जैसे,अपने ही नजदीक है।।
— % &दूदू मौजमाबाद फागी की जनता,जिनके दिल में बसती है।
गुदड़ी के लाल प्रेम जी,बहुत विलक्षण हसती है।।
उच्च शिक्षित ऊंचे विचार, सादा जीवन जीते हैं।
जनता की सारी पीड़ा को,बड़े अदब से सुनते हैं।।
फर्श से अर्श पर पहुंचे,फिर भी जमीन से जुड़े हुए।
जहां जरूरत पड़ी आपकी,मौके पर थे खड़े हुए।।
आज जन्म दिन आपका,ढेर सारी शुभकामना।
सुखी संपन्न प्रसन्न निरोगी,ईश्वर से हे प्रार्थना।।
आगे बढ़े हो बढ़ते रहो,शुक्र तारे सी चमक रहे।
इकतीस अगस्त पच्चीस को, कवि प्रभु दयाल यह पद कहे।।
कवि लेखक शिक्षक मंच
संचालक प्रभु दयाल रैगर
निवासी हरसौली दूदू
जयपुर राजस्थान
मोबाइल नंबर 9784592976
— % &-
घड़ी खा गया, सेल खा गया, रोशनी खा गया आंखों की।
टेप टीवी रेडियो खा गया,नथनी खा गया नाकों की।।
पंचांग कैलेंडर,किताब खा गया,नींद खा गया रातों की।
युवा पीढ़ी ने इस चक्कर में, नशें काट ली हाथों की।।
कंप्यूटर प्रिंटर छापा खा गया,टिकट वाली खिड़की को।
पोस्टर इश्तेहार फ्रेम खा गया,प्रेम खा गया लड़की को।।
मान मर्यादा शर्म खा गया,विश्वास खा गया बातों की।।
रिश्ते नाते सम्बन्ध खा गया,बही खा गया खातों की।
प्रेम भाईचारा व्यवहार खा गया,पोथी खा गया नाथों की।।
सत्संग भजन संत खा गया,आरती खा गया मंदिर की।
चर्च गुरुद्वारा मस्जिद खा गया,शक्ति भक्ति अंदर की।।
भाई खा गया बहन खा गया,जीजा साली रिश्तों को।
घर का सारा चैन खा गया,तनख़ा खा गई किस्तों को।।
दुकान मकान मेले खा गया,होटल चाट पकौड़ी को।
ऑनलाइन सब लेना देना,जेब की खा गया कौड़ी को।।
टॉर्च खा गया,वेद खा गया,शास्त्र ज्योतिष पंडित को।
हाट बाट माप खा गया , सजा खा गया दंडित को।।
प्यार प्रेम ईमान खा गया, जबान खाई भरोसे की।
पिज्जा बर्गर होम डिलीवरी,महक खाई समोसे की।।
— % &पगड़ी पेन कॉपियां खा गया,शर्म लाज लुगायां की।
पति पत्नी का रिश्ता खा गया, मूंछ खा गया भायां की।।
जाती धर्म कुल खा गया,रीति रिवाज संस्कारों की।
ऑनलाइन शादी करवा दी, गई जरूरत फेरों की।।
कैमरा स्टूडियो सिनेमा खा गया,खेल मेल चौपालों की।
कुश्ती कबड्डी दंगल खा गया,चुस्ती फुर्ती बालों की।।
अखबार वाचनालय कथा खा गया,खाया खेल तमाशों को।
वीडियो रील बनाते खा गया,धड़कन चलती स्वांसो को।।
अमन चैन सुख समय खा गया,दिमाग याद लिखावट को।
प्रभु दयाल सावधानी बरतो,यह जाल मोबाइल माया को।
कवि लेखक शिक्षक मंच संचालक
प्रभु दयाल रैगर निवासी हरसौली
दूदू जयपुर राजस्थान — % &-
मेवड़लो बरस सखी, पिव पिव बोले मोर।
लग साजन घर आवसी , म्हारा काळजिये री कोर।।
जोबनियो गरणा रियो, ज्यों बादळ घणघोर ।
बरस जाऊँ बण बादळी, राजी हो चितचोर।।
साजन जोबन धन पावणी,दो च्यार दिन रेत।
आयो अवसर लुट ले,दन दन ढळती रेत ।।
ठंडो जळ घडलो भ्रयो , तरपत कर ल्यो काया ।
भर भर घूंट उतारल्यो, म्हारी सासु जी का जाया ।।
घेर घुमेर मद रुंखडो, जिण घणेरी छाया।
तन शितळ कर छावळी, दूर गिंया पछताया।।
अंग अंग मुस्काय रियो,जोबन दे रियो झालो।
गिगण तारा चमकिया,अब तो मेलां चालो।।
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बादल इतने, काले क्यों हो?
इतना तेज, चमकते क्यों हो?
गरज गरज इतने जोरों से,
हम को आप डराते क्यों हो?
कभी सफेद कभी काले क्यों हो?
कभी सघन कभी छिछले क्यों हो?
कभी यहां और कभी वहां।
इतने आप निराले क्यों हो?
किसे ढूंढने भटकते रहते ?
किसे पाने की आशा रखते?
कौन रूठ गया है तुमसे?
उनकी याद में रोते रहते।।
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कोठी बंगले महल बनाए, ऊंची ऊंची अटारी को।
भूख प्यास से व्याकुल मर गया,मिली न भीख भिखारी को।।
काजू किसमिस बादाम खिलाई जा रही थी टॉमी को।
खुशबू वाली सोप नहलाया जा रहा था रोमी को।।
गार्ड खा रहा था ला टिफिन,रूखी सुखी भाजी को।
महंगी वाइन परोसी जा रही ,शहर के प्रसिद्द काजी को।।
भरी सर्दी ड्राइवर उनका,गाड़ी में ही दुबक रहा।
उधर था माली बैठा बैठा,गार्डन में ही सुबक रहा।।
पूरे कमरे फुल एसी थे,रूम छोड़ नौकरानी का।
खुशबू से महका करता था रूम खूब बहुरानी का।।
बेटे बेटी आजाद घूमते,लेते मजे जवानी का।
कोई टाइम फिक्स नहीं था,आन जान रवानी का।।
अधनंग बॉडी,अश्लील पार्टी,डांस युवा तरुनाई का।
चाहे जिसकी बांहे झूलो,काम नहीं शरमाई का।।
मियां बीबी भी अपनी पसंद के,होटल जाया करते थे।
बिजनस वाली डील बताकर,वहीं रुक जाया करते थे ।।
महंगे शोक महंगी गाड़ियां,सैर सफ़ाटे करते थे।
सड़क किनारे सोए दुर्बल,तड़फ तड़फ कर मरते थे।।
— % &तो यह तस्वीर नए भारत की,संस्कार मानवता खोई थी।
क्या इसीलिए भारत में,यह नई अमीरी आई थी।।
क्या दया धर्म इंसानियत,बिल्कुल भुलाई जाएगी।
क्या गरीब अमीर की खाई,ऐसे ही बढ़ती जाएगी।।
क्या संस्कारों की होली,रोज, सड़क जलाई जाएगी।
क्या धन वैभव की चकाचौंध में,मर्यादा तोड़ी जाएगी।।
ऐसा हो रहा ऐसा होगा,बाते अगर यह सच्ची है।
प्रभु दयाल फिर तो भारत में,गरीबी ही अच्छी है।।
कवि लेखक शिक्षक मंच
संचालक प्रभु दयाल रैगर
निवासी हरसौली दूदू
जयपुर राजस्थान
— % &-
समय का चक्र
समय सबका बदलता है,
मिट्टी से भी सुंदर घर बनता है।।
बंजर जमीन पर चलता है हल।
देता है एक दिन खूब फल।।
सुख जाता है गर्मी में जो पेड़।
फल फूल पत्तों से भर जाता है।।
समय सबका बदलता है।।
हारते हैं नेता बार बार चुनाव।
कभी वहीं मंत्री सांसद बनता है।।
समय सबका बदलता है।।
बचपन में खेलते जो खिलौनों से।
इंजीनियर बहुत बड़ा बनता है।
समय सबका बदलता है।।
पैदल चलने वाले भी क्या कम है अर्जुन।
देख समय की माया,गाड़ियों का काफिला रखता है।।
समय सबका बदलता है।।
लेखक अर्जुन लाल वर्मा सोडाला जयपुर राजस्थान-