कुछ लोगों की जबान और कलम कुछ खाने पीने के बाद चलती है।
बिना इज्जत सम्मान कुछ भी लिखो कितना ही कुछ भी शेयर करो शेखी बघारो कोई मूल्य नहीं होता बस खुद के मन को जरूर संतुष्टि मिल सकती है।
केवल लिखने शेयर करने बखान करने से कुछ नहीं होता उनकी ही बातों का महत्व होता है जिनका खान पान व्यवहार रहन सहन संगत उठ बैठ भाषा शैली और ढंग सही हो।और अच्छा ज्ञान भी हो रोज दूसरे की बनाई रिल्स लेखन पोस्ट कॉपी पेस्ट करने वाले लोगों की क्वालिटी लोग जान जाते हैं।।
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साथ थे तो साथी थे,दूर गए तो दुश्मन है।
दल में दलनायक थे ,वो ही अब खलनायक है।।
मन मिले तो अच्छे थे,मन टूटते ही बुरे हुए।
विचार मिले सच्चे थे,अब बेईमानी के गढ़ हुए।।
स्वार्थ था तो चिलम भरी,अब देखते आग लगी है।
प्रभु दुनिया दुख भरी,नहीं किसी की सगी है।।
कवि शिक्षक मंच संचालक प्रभु दयाल रैगर
निवासी हरसौली दूदू जयपुर
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14 जुलाई सन 2005 जन्मी बेटी महिमा /
हिमांशु छोटा भाई है बहन बड़ी है गरिमा //
हंसता मुस्कुराता चेहरा सुंदर, सुंदर इसकी वाणी/
मधुर मस्त व्यवहार इसका, घर में सबसे सियाणी //
दादा जी की प्यारी लाडली ,परिवार की प्यारी बेटी है/
सुलझा है स्वभाव इसका, अपनी धुन में रहती है /
सुखी रहो संपन्न रहो सदा आगे बढ़ते रहो /
उत्तम कर्म प्रधान प्रभु सबको प्यारी लगती रहो//-
बरसात का मौसम,हवाओं में नमी हे।
चले आओ प्राणप्रिय,आपकी कमी है।।
सुहावना है मौसम शमा मद भरी ।
खुशबू भी कण कण में रमी हैं।।
चले आओ प्राण......................
बागों में बहार पंछियों का गान।
बाट निहारती आंखों में नमी हे।
चले आओ प्राणप्रिय...........
बलखाती बैले,फूलों से भरी।
सोंधी सी महक देती अब जमीं है।।
चले आओ प्राणप्रिय................
बहती नदियां कल कल झरने।
प्रभु बस कोयल कुछ सहमी है।।
चले आओ प्राणप्रिय.................
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आत्म बल बड़ा हो जिनमें,भीड़ जाते हैं शेरों से।
दोनों हाथ नहीं फिर भी किस्मत लिख दी पैरों से।।
रोना रोते हैं किस्मत का,या सुविधा पर दोष मढ़े।
रोक नहीं सकती कोई ताकत,ईमानदारी से जो पढ़ें।।
केवल बैठे रहने से,मंजिल पास नहीं आती।
धीरे पर लगातार चले,निश्चय किस्मत खुल जाती।।
कायरो के रह भरोसे, जंगे नहीं लड़ी जाती।
तलवार वो ही उठा पाते,भुजाएं जिनकी बलखाती।।
असंभव कुछ भी नहीं आ मांझी से पूछकर।
रास्ते निकल सकते हैं पहाड़ों को चीरकर।।
ऐसी एक बच्ची हे कोमल वर्मा जिनके दोनों हाथ जन्म से नहीं हे फिर भी उनके माता पिता गुरु ने और खुद ने हार नहीं मानी और इसी सत्र में पैरों से लिख कर बोर्ड परीक्षा कक्षा दस 80.17 प्रतिशत से उत्तीर्ण कर ली है जो दोनों हाथ वाले भी प्राप्त नहीं कर पाते।
दीक्षा कोचिंग संस्थान के कार्यक्रम में मंच संचालन के दौरान यह देखने को मिला बेटी उनके गुरु माता पिता को सम्मान दिया गया और महेंद्र बैरवा जी इनके पढ़ाई लिखाई का सारा खर्चा उठा रहे हैं।
आप सभी धन्यवाद के पात्र है आप सभी को सैल्यूट करता हूं।
कवि शिक्षक प्रभु दयाल रैगर निवासी हरसौली दूदू जयपुर
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सबकी आंखों का तारा
घर का राज दुलारा।
मेरे घर का चिराग,
खिले पुष्पों का पराग।
मेरे बाग का गुलाब,
इस घर का नवाब।
हमारी खुशियों का संसार,
धुन राग झनकार।।
मनभावन मासूमियत,
खूब रखता अहमियत।।
प्रभु ना मिले आंसू,
सदा सुखी रहे पुत्र
हिमांशु ।।
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पच्चीस जून दो हजार नो, जन्मा पुत्र हिमांशु /
सबके मन हर्षित हुए, खुशियां लाया धांसू //
प्रभु रूपवती मात पिता, गरिमा महिमा दो बहने/
जगदीश सोहनी दादा दादी, चाचा रामदयाल के क्या कहने//
भोला भाला मन का सच्चा, सबकी आंखों का तारा/
शर्मिला अनुशासन प्रिय, घर का राज दुलारा//
धीरे-धीरे बढ़ गया, हो गई आयु सोलह साल/
आयु यश बढ़ जाएगा शुभकामनाएं दे करो कमाल //
स्वस्थ सुखी निरोगी रहो ,आगे बढ़ते जाओ/
काम करो तुम ऐसा ,सब का मान बढ़ाओ//
जहां रहो प्रसन्न रहो ,यह आशीर्वाद हमारा/
प्रभु दयाल यह लाडला, सबकी आंखों का तारा//
प्रिय पुत्र हिमांशु को जन्म
दिवस पर ढेर सारीशुभकामनाएं बधाइयां कवि शिक्षक
मंच संचालकप्रभु दयाल रैगर निवासी
हरसौली दूदू जयपुर राजस्थान-
जून अठारह दो हजार तीन, बुधवार दिन नेक/
प्रभुदयाल रूपवती घर, कन्या जन्मी एक//
शाम का था समय सुहाना,घनघोर घटाएं छाई थी।
चारों ओर से उमड़ घुमड़ कर,काली बदलियां आई थी।।
किलकारी जैसे सुनी घटा छाई घनघोर/
जोर की बरसात हुई मीठा बोले मोर //
छोटी नन्ही प्यारी सुंदर, गौर वर्ण परी सी/
हंसमुख हष्ट पुष्ट लगती बदन भरी सी//
प्रेम नाम वर्षा रहा राशि अनुसार गरिमा/
अनुज अभय सलोनी, हिमांशु और महिमा//
बोकोलिया परिवार में, रही लाडली सबकी/
कोई लेकर गोद खिलावे, कोई सुलावे दे थपकी//
तेल पाउडर क्रीम मसाज, सेवा हुई बराबर/
साफ स्वच्छ वस्त्र स्नान, रखते सभी सजाकर//
कई वर्षों बाद बड़ों में, नन्ही बालिका आई थी/
सगा संबंधी रिश्तेदार, सबके मन को भाई थी//
देखते-देखते बड़ी हो गई, साल बाइस पूरे आज/
नन्ही किशोरी वयस्क हुई,बेटी घरकी रखना लाज//
शंकर जी से हुई सगाई,छीतर प्रेम देवी सास ससुर।
मुंडिया रामसर निमेड़ा,प्यार मिलेगा जहां भरपूर।
पढ़ना लिखना आगे बढ़ना,परिवार मान बढ़ाना/
अबला जीवन अति कठिन, लोहे के चने चबाना//
सुखी संपन्न निरोगी रहो, हर मनोकामना पूरी हो/
प्रभुदयाल बड़ी हो सबसे,इस परिवार की धुरी हो//-
असंभव कुछ भी नहीं,आ मांझी से पूछकर।
रास्ते निकल सकते हैं,पहाड़ों को चीरकर।।-
पावर पैसा रुतबा काम नहीं है आया।
कब क्या हो जाए यही प्रभु की माया।
इसमें भी बच गया, था बचाने वाला।
बारूद ढेर से स्वस्थ किस्मत वाला।।
मौत नहीं छोड़ती,नेता अफसर नौकर।
उसकी नजर से एक हे,राजा इक्का जौकर।।
सब प्रेम से रहो,ले लो बोल भलाई।
सबका जाना होगा, नहीं रहो सदा ही।।
लड़ाई झगड़ा रगड़ा टंटा बिन मतलब की बात।
खाली आए खाली जाना कोई नहीं जाना साथ।।
आओ मिलकर रहे प्रेम से,धरती को स्वर्ग बनाएं।
प्रभुदयाल शत शत नमन,हे पुण्य आत्माएं।।
कवि शिक्षक मंच संचालक
प्रभु दयाल रैगर
निवासी हरसौली दूदू जयपुर राजस्थान-