Prabhat Tiwari Aman  
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Joined 18 December 2019


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Joined 18 December 2019
8 JAN 2023 AT 18:02

हरदिन अलग कहानी होगी।
तुझको भी परेशानी होगी।।
रातों में जब रोयेगी तू।
आँखें पानी पानी होंगी।।

याद तुझे मैं आऊँगा तब।
पर मैं मिल न पाऊंगा तब।।
न कोई मेरी निशानी होगी।
आँखें पानी पानी होंगी।।

याद करेगी जब उस दिन को।
मेरे बिन बीते जो गिन को।।
फिर वो रुत न सुहानी होगी।
आँखें पानी पानी होंगी।।

दिल मेरा जो तोड़ा तूने।
नही कहीं का छोड़ा तूने।।
गलती सभी चुकानी होगी।
आँखें पानी पानी होंगी।।

प्रेम अमन का ओछा था क्या।
तूने कुछ भी सोचा था क्या।।
ये भी क्या नादानी होगी।
आँखें पानी पानी होंगी।।

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20 MAY 2022 AT 20:12

इश्क़ वफ़ा सब गद्दारी है।
सच्ची बस अपनी यारी है।।
और नही कुछ भी सच है।
बस दिखावे की दिलदारी है।।

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4 FEB 2022 AT 10:08

शब्द शब्द जोड़ मैंने, कविता रचाई आज।
सारी व्यथा लिखकर, सबको सुनाता हूँ।।
देश में जो चलती है, राजनीति जाति वाली।
ऐसी दशा देख चुप, रह नही पाता हूँ।।
आइना दिखाने को मैं, आज आप मध्य आया।
ऐसा वैसा नही सब, सच बतलाता हूँ।।
होतीं अस्मिता है जब, देश की जो तार तार।
लेखनी कटार भांति, अमन चलाता हूं।।

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30 OCT 2021 AT 13:49

हमारी जिंदगी में एक बस ये सिलसिला चलता।
तुम्हारी याद में चेहरा हमारा खिलखिला चलता।।
तुम्हें हम याद करते हैं, तो नम आँखें भी होती पर।
तुम्हारे साथ हम चलते हमारा दिल मिला चलता।।

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29 OCT 2021 AT 17:46

लाल होंठ काले घुंघराले बाल लेके देखो।
करने को नैनों से शिकार चली आयी है।।
बिजली गिराती हुई अँखियाँ मिलाती हुई।
लगता है हाथों में कटार लेके आयी है।।
मैंने देखा फूल था चमेली और चंपा वाला।
पर ये गुलाब का श्रृंगार कर आयी है।।
यौवन को देखते ही प्रेमीजन मर जाते।
रूप कामदेव का उधार लेके आयी है।।

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25 AUG 2021 AT 21:24

कोई फूलों पे मरता है, कोई कलियों पे करता है।
जो मरता है वतन खातिर, उसे हम शेर कहते हैं।।

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1 MAY 2021 AT 22:12

कुछ यादें बनी रहेंगी, कुछ ख्वाब भी आयेंगे।
पर जाने वाले चले गए, वो लौट न पायेंगे।।

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26 MAR 2021 AT 22:21

यादों के पन्ने और दिल की किताबें खुली रखना।
मोहतरमा हमारी याद कभी भी आ सकती है।।

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26 MAR 2021 AT 22:14

फसलां नही है हमारी बातों ये मेरी मजबूरी है।
एकबार बात तो करो बता दूँगा चाहत अभी अधूरी है।।

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27 NOV 2020 AT 19:49

शब्द शब्द जोड़ मैंने, कविता रचाई आज।
सारी व्यथा लिखकर, सबको सुनाता हूँ।।
देश में जो चलती है, राजनीति जाति वाली।
ऐसी दशा देख चुप, रह नही पाता हूँ।।
आइना दिखाने को मैं, आज आप मध्य आया।
ऐसा वैसा नही सब, सच बतलाता हूँ।।
होतीं अस्मिता है जब, देश की जो तार तार।
लेखनी कटार भांति, अमन चलाता हूं।।

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