Prabhat Singh   (Prabhat Singh...✍️)
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न कंचित् ‎शाश्वतम् ‎🙏🏻 ‎ ⚔ क्षत्रिय ‎धर्म: ‎युगे युगे ⚔
Joined 3 August 2019


न कंचित् ‎शाश्वतम् ‎🙏🏻 ‎ ⚔ क्षत्रिय ‎धर्म: ‎युगे युगे ⚔
Joined 3 August 2019
30 MAY AT 21:45

गर तू चाहे...तो फिर मुलाकात हो जाए ,
मैं , तुम और सफर वो ट्रेन का..
फिर तेरे साथ हो जाए .

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30 MAY AT 1:13

आज फिर एक शख्स ने फैलाई बाहें अपनी मेरे लिए..
आज फिर तेरे कंधे का वो तिल याद आया .

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30 MAY AT 1:08

तुम तो जानते हो मुझे अच्छी तरह...
फिर यूं तुम्हें हाल नहीं पूछने चाहिए .

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27 MAY AT 10:50

अपनी परछाईं में मैं...
उसका अक्श ढूंढता हूं ,
वो जो मुझे मिल न पाया..
आइने में अब भी वो शख्स ढूंढता हूं.

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26 MAY AT 18:47

वापस कब मिलोगे ?
ये सवाल कर दिया उसने,
ये पूछ कर अब तो जैसे...
यहां से जाना मुहाल कर दिया उसने .

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26 MAY AT 7:36

सुकून मिल जाए कहीं इस भागम–भाग में..
ऐसी कोई जमीं ढूंढ रहा हूं ,
और कितना नासमझ हूं मैं ?
उस शिव 🔱 को भूल मैं खुद को ढूंढ रहा हूं.

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8 MAY AT 12:35

इस दिल को अब भी इंतजार है उसे कहना..
हर पल रहता हूं बे–करार उसे कहना ,
हर लम्हा रुक रही हैं सासें मेरी..
बस वही चाहिए मुझे हर बार उसे कहना ,
बगैर उसके इस जहां में रौनक न रही..
वही रहेगा मेरा आखिरी प्यार उसे कहना.

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27 APR AT 7:43

इन दिनों सब ढूंढेंगे...
Refrigerators में रखे colddrinks ,
पर तुम ढूंढना...
एक अच्छी सी किताब , घर का एक कोना और..
वो अदरक वाली चाय.

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23 APR AT 17:20

पहन कलाइयों में लाल कंगन..
धर्म मेरा हिन्दू है बताई है ,
इस भारतीय नारी ने महान देश में..
हिंदू होने की कीमत चुकाई है .

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22 APR AT 16:56

तुम कहते हो बे–कसूर थे तुम..
पर जाना मेरा तो गुरूर थे तुम ,
किसी गैर ने बताया शादी है तुम्हारी..
मुझसे न बताया क्या इतने दूर थे तुम ,
और देखी मंडप में मुस्कान संग साजन के..
फिर कैसे मान लूं कि बड़े मजबूर थे तुम .

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