आहिस्ता ही सही पर हर दिन
बदल रहा हूं ,
इस बदलती दुनिया को देख इसके साथ
चल रहा हूं .-
ऐसे हर छोटी सी बात पर , तकरार
क्यूं करें
गर बात करने से बन जाए बात , तो अहंकार
क्यूं करें .-
सच्ची बातें ये आंखें बयां करती हैं ,
तुम पढ़ना मेरी इन आंखों को...
जिससे जान सको अपना मोल मेरे जीवन में .-
एक अजीब सा भय है मन में..
अगर नहीं हुआ तो फिर ?
पर दूसरी तरफ विश्वास है...
होने का .-
गर तू चाहे...तो फिर मुलाकात हो जाए ,
मैं , तुम और सफर वो ट्रेन का..
फिर तेरे साथ हो जाए .-
आज फिर एक शख्स ने फैलाई बाहें अपनी मेरे लिए..
आज फिर तेरे कंधे का वो तिल याद आया .-
तुम तो जानते हो मुझे अच्छी तरह...
फिर यूं तुम्हें हाल नहीं पूछने चाहिए .-
अपनी परछाईं में मैं...
उसका अक्श ढूंढता हूं ,
वो जो मुझे मिल न पाया..
आइने में अब भी वो शख्स ढूंढता हूं.-
वापस कब मिलोगे ?
ये सवाल कर दिया उसने,
ये पूछ कर अब तो जैसे...
यहां से जाना मुहाल कर दिया उसने .-
सुकून मिल जाए कहीं इस भागम–भाग में..
ऐसी कोई जमीं ढूंढ रहा हूं ,
और कितना नासमझ हूं मैं ?
उस शिव 🔱 को भूल मैं खुद को ढूंढ रहा हूं.-