गर तू चाहे...तो फिर मुलाकात हो जाए ,
मैं , तुम और सफर वो ट्रेन का..
फिर तेरे साथ हो जाए .-
आज फिर एक शख्स ने फैलाई बाहें अपनी मेरे लिए..
आज फिर तेरे कंधे का वो तिल याद आया .-
तुम तो जानते हो मुझे अच्छी तरह...
फिर यूं तुम्हें हाल नहीं पूछने चाहिए .-
अपनी परछाईं में मैं...
उसका अक्श ढूंढता हूं ,
वो जो मुझे मिल न पाया..
आइने में अब भी वो शख्स ढूंढता हूं.-
वापस कब मिलोगे ?
ये सवाल कर दिया उसने,
ये पूछ कर अब तो जैसे...
यहां से जाना मुहाल कर दिया उसने .-
सुकून मिल जाए कहीं इस भागम–भाग में..
ऐसी कोई जमीं ढूंढ रहा हूं ,
और कितना नासमझ हूं मैं ?
उस शिव 🔱 को भूल मैं खुद को ढूंढ रहा हूं.-
इस दिल को अब भी इंतजार है उसे कहना..
हर पल रहता हूं बे–करार उसे कहना ,
हर लम्हा रुक रही हैं सासें मेरी..
बस वही चाहिए मुझे हर बार उसे कहना ,
बगैर उसके इस जहां में रौनक न रही..
वही रहेगा मेरा आखिरी प्यार उसे कहना.-
इन दिनों सब ढूंढेंगे...
Refrigerators में रखे colddrinks ,
पर तुम ढूंढना...
एक अच्छी सी किताब , घर का एक कोना और..
वो अदरक वाली चाय.-
पहन कलाइयों में लाल कंगन..
धर्म मेरा हिन्दू है बताई है ,
इस भारतीय नारी ने महान देश में..
हिंदू होने की कीमत चुकाई है .-
तुम कहते हो बे–कसूर थे तुम..
पर जाना मेरा तो गुरूर थे तुम ,
किसी गैर ने बताया शादी है तुम्हारी..
मुझसे न बताया क्या इतने दूर थे तुम ,
और देखी मंडप में मुस्कान संग साजन के..
फिर कैसे मान लूं कि बड़े मजबूर थे तुम .-