तुम बिन सांसें मेरी अब मुझे ही चुभन लगे..
जिंदगी हर रोज नई अब उलझन लगे ,
बस लफ्जों से यूं ही प्यार जताना मुनासिब नहीं..
प्यार निभाने की भी हो सके तो अब कोई चलन बने ,
तुमको समझा था मैंने जिंदगी अपनी..
पर जाने क्यों ये जिंदगी अब दिन पर दिन उलझन बने ,
यूं दिल का टूटना जब लिखा ही है मोहब्बत में जब..
तो फिर ये दिल क्यों ना कभी शीशा तो कभी दर्पण बने ,
तुम्हें दोस्त बनाकर विदा किया हमने..
जब जाना ही था तो क्यों न हम दोनों दुश्मन बनें ,
मैं तो बन गया हूं इस प्यार में शायर अब पर..
इस दिल की दुआ है कि काश तू किसी की दुल्हन बने .
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