Prabhat Singh   (Prabhat Singh...✍️)
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न कंचित् ‎शाश्वतम् ‎🙏🏻 ‎ ⚔ क्षत्रिय ‎धर्म: ‎युगे युगे ⚔
Joined 3 August 2019


न कंचित् ‎शाश्वतम् ‎🙏🏻 ‎ ⚔ क्षत्रिय ‎धर्म: ‎युगे युगे ⚔
Joined 3 August 2019
16 HOURS AGO

पहले तो ये दुनिया बेमानी लगी हमें..
पर अब वो दुनिया हमें अंजानी लगी है ,
और खोला है smartphone में जबसे आइकॉन photos का..
उन सब के साथ वो हमारी तब की नादानी लगी है .

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23 APR AT 23:55

चांद की बढ़ती मांग को देखकर क्यों ना हम ऐसा कामधंधा कर लेते हैं ?
इस जमीं से दूर उस आसमां में कुछ हो सके तो जमीं बनाते हैं ,
आसमान में यूं उड़ रहे पक्षियों के साथ मिल उस जमीं पर हल चलाते हैं..
और इस जहां में किसी प्रेमी को कम ना पड़े हम इतने चांद उगाते हैं .

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23 APR AT 10:25

तुम बिन सांसें मेरी अब मुझे ही चुभन लगे..
जिंदगी हर रोज नई अब उलझन लगे ,
बस लफ्जों से यूं ही प्यार जताना मुनासिब नहीं..
प्यार निभाने की भी हो सके तो अब कोई चलन बने ,
तुमको समझा था मैंने जिंदगी अपनी..
पर जाने क्यों ये जिंदगी अब दिन पर दिन उलझन बने ,
यूं दिल का टूटना जब लिखा ही है मोहब्बत में जब..
तो फिर ये दिल क्यों ना कभी शीशा तो कभी दर्पण बने ,
तुम्हें दोस्त बनाकर विदा किया हमने..
जब जाना ही था तो क्यों न हम दोनों दुश्मन बनें ,
मैं तो बन गया हूं इस प्यार में शायर अब पर..
इस दिल की दुआ है कि काश तू किसी की दुल्हन बने .

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20 APR AT 23:04

" सरकारी नौकरी "
ये जादुई शब्द चंद लम्हों में ..
आपकी सारी खामियां आपसे परे कर देता है .

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20 APR AT 22:53

" सरकारी नौकरी "
ये शब्द बनाता है...
समाज में आपकी इज्जत .

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8 APR AT 12:21

जैसे रूह भटकती है दर – बदर एक बदन के लिए..
तरसता रहा मैं भी उस एक शख्स की झलक के लिए ,

ख्वाबों में मिली मल्लिका गुजर गई उन ख्वाबों के साथ ही..
और आंख खुलने के बाद भी हम बैठे हैं बस उसकी खबर के लिए .

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5 APR AT 23:07

तेरी गोद में सर रखे... इन जुल्फों तले दिन ढल जाए तो अच्छा होता ,
बीते जो दिन और कुछ पिछली रातें जिस तरह तेरे साथ.. ये बचे लम्हें भी गुजर जाए तो अच्छा होता .

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1 APR AT 11:31

संतुलन तो प्रकृति ने बनाए रखा है साहब !
वरना लोग तो तैयार बैठे हैं बर्बाद करने को .

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25 MAR AT 16:06

जानें ये आंखे इतनी बेताब किसलिए हैं ?
पड़ा ये मन इतना अशांत किसलिए है ,
और अगर इतनी बेरंग हो चली ये जिंदगी..
तो फिर दिख रहा ये गुलाल किसलिए है .

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21 MAR AT 9:03

बस वक्त बदल गया है ,वरना कोई हमें भी करता था..
निकलते सूर्य के साथ , ढलते सूर्य के साथ और रात को आकाश में टिमटिमाते सितारों के साथ...

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